तिरुवनंतपुरम, 30 जुलाई (आईएएनएस)। यहां की एक स्थानीय अदालत ने माकपा के दो शीर्ष नेताओं- एलडीएफ के संयोजक ई.पी. जयराजन और पी.के. श्रीमति के खिलाफ हिंसा भड़काने और साजिश रचने के लिए केस दर्ज करने की मांग वाली याचिका स्वीकार कर ली।
जयराजन और श्रीमती दोनों पूर्व मंत्री हैं और सीपीआई-एम की केंद्रीय समिति के सदस्य भी हैं। श्रीमती की बहन जयराजन की पत्नी हैं।
याचिकाकर्ता पी. नवास, एक कार्यकर्ता, ने आरोप लगाया है कि ये दोनों नेता हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार हैं और 30 जून को राज्य माकपा मुख्यालय पर बम हमले के तुरंत बाद साजिश रची थी।
कोर्ट अब इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगी।
अदालत के इस कदम से माकपा बुरी तरह प्रभावित हुई है क्योंकि बम फेंकने वाले का अभी पता नहीं चल पाया है।
घटना 30 जून की आधी रात को हुई और थोड़ी देर बाद जयराजन ने हमले के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया और कार्यालय में मौजूद श्रीमती ने टेलीविजन मीडिया को बाइट दी कि आवाज सुनकर वह लगभग कुर्सी से गिर गईं।
घटना के तुरंत बाद महिलाओं सहित माकपा कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ कार्यालय के सामने जमा हो गई और कांग्रेस विरोधी नारे लगाते हुए सड़कों पर उतर आए।
हालांकि एक माह बाद भी लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस आरोपी का पता नहीं लगा पाई है। कांग्रेस नीत विपक्ष और भाजपा कानून-व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर हमला करते रहे हैं, जिनके पास गृह विभाग भी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. सुधाकरन ने कहा कि वर्तमान जांच का कोई फायदा नहीं है क्योंकि केवल जयराजन ही जानते हैं कि यह किसने किया है और इसलिए उनके खिलाफ हिंसा भड़काने का मामला दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि इस मुद्दे पर कई कांग्रेस कार्यालयों पर हमला किया गया था।
सुधाकरन ने कहा, उन्होंने कहा कि अगर यह कांग्रेस द्वारा किया गया होता और अगर यह सच होता तो गिरफ्तारी हो जाती, लेकिन चूंकि यह जयराजन की रचना है, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
आईएएनएस
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