पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 17 विपक्षी दलों ने बताया खतरनाक

IANS
By
4 Min Read

पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 17 विपक्षी दलों ने बताया खतरनाक नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। विपक्षी दलों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों को मान्य करने पर एक संयुक्त बयान जारी किया और कहा कि हाल के फैसले के दीर्घकालिक निहितार्थ को लेकर गहरी आशंका है।

27 जुलाई को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईडी के पास कानून के तहत लोगों की जांच करने, तलाशी और छापे मारने और यहां तक कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कड़े प्रावधानों के तहत नागरिकों को गिरफ्तार करने की शक्तियां हैं।

तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), द्रमुक, शिवसेना, आप और स्वतंत्र राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल सहित 17 विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।

इन 17 दलों ने इस अधिनियम में संशोधनों को बनाए रखने वाले शीर्ष न्यायालय के फैसले के दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में आशंका व्यक्त की और इसकी समीक्षा की मांग करते हुए इसे खतरनाक बताया।

विपक्षी दलों ने बयान में कहा, हम सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में दिए गए उस आदेश के होने वाले दूरगामी असर को लेकर गहरी चिंता प्रकट करते हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने धनशोधन निवारण कानून, 2002 में किए गए संशोधनों को पूरी तरह से बरकरार रखा है और इसकी छानबीन नहीं की कि इनमें से कुछ संशोधन वित्त विधेयक के जरिए किए गए।

संयुक्त बयान में कहा गया है, यदि कल सुप्रीम कोर्ट यह मानता है कि वित्त अधिनियम के माध्यम से चुनौती वाले संशोधन कानून में खराब हैं, तो पूरी कवायद व्यर्थ हो जाएगी और न्यायिक समय की हानि होगी।

बयान के अनुसार, हम अपने सर्वोच्च न्यायालय के लिए सर्वोच्च सम्मान रखते हैं और हमेशा रखेंगे। फिर भी, हम यह इंगित करने के लिए मजबूर हैं कि निर्णय को संशोधन करने के लिए वित्त अधिनियम मार्ग की संवैधानिकता की जांच के लिए एक बड़ी पीठ के फैसले का इंतजार करना चाहिए था। इन दूरगामी संशोधनों ने अपने राजनीतिक विरोधियों को शरारती और दुर्भावनापूर्ण तरीके से निशाना बनाने के लिए, मनी लॉन्ड्रिंग और जांच एजेंसियों से संबंधित इन संशोधित कानूनों का उपयोग कर, सबसे खराब तरह के राजनीतिक प्रतिशोध में लिप्त एक सरकार के हाथों को मजबूत किया है।

बयान में कहा गया है कि वे इस बात से निराश हैं कि अधिनियम में नियंत्रण और संतुलन की कमी पर एक स्वतंत्र फैसला देने के लिए आमंत्रित सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण ने कठोर संशोधनों के समर्थन में कार्यपालिका द्वारा दिए गए तर्कों को पुन: प्रस्तुत किया है।

बयान में आगे कहा गया है, हमें उम्मीद है कि खतरनाक फैसला अल्पकालिक होगा और संवैधानिक प्रावधान जल्द ही लागू होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई को पीएमएलए के कई प्रावधानों की वैधता और व्याख्या और इस आपराधिक कानून के तहत मामलों की जांच के दौरान ईडी द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से संबंधित दलीलों पर सुनवाई के बाद 545 पन्नों के आदेश में अपने निर्देश जारी किए थे।

अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली विपक्षी दलों की याचिकाओं पर अपने फैसले में इस अधिनियम में हुए संसोधनों को बरकरार रखा था।

आईएएनएस

देश विदेश की तमाम बड़ी खबरों के लिए निहारिका टाइम्स को फॉलो करें। हमें फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। ताजा खबरों के लिए हमेशा निहारिका टाइम्स पर जाएं।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *