प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), 12 अगस्त (आईएएनएस)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पीएसी और सिविल या सशस्त्र पुलिस एक ही बल का हिस्सा हैं और इन्हें अलग-अलग नहीं कहा जा सकता। इसलिए, प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी से सिविल पुलिस या सिविल पुलिस से पीएसी में ट्रांसफर किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के पीएसी कांस्टेबल और हेड कांस्टेबलों के बड़े पैमाने पर तबादले को सिविल पुलिस में बरकरार रखते हुए कहा कि तबादला आदेश में कोई अनियमितता नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि मूल कानून के खिलाफ नियम नहीं बनाए जा सकते। कोर्ट ने तबादलों के खिलाफ दायर दर्जनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने सुनील कुमार चौहान और 186 पीएसी आरक्षक, हेड कांस्टेबल समेत 27 याचिकाओं पर फैसला करते हुए यह आदेश दिया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि पुलिस एक्ट और पीएसी एक्ट अलग-अलग हैं। पीएसी एक अलग कैडर है। पीएसी से सिविल पुलिस या सशस्त्र पुलिस में ट्रांसफर उनकी आंतरिक वरिष्ठता और पदोन्नति के अवसरों को प्रभावित करेगा, इसलिए इंटर-कैडर ट्रांसफर की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि 1861 का पुलिस अधिनियम पीएसी समेत सभी पुलिस बलों पर लागू है।
अतिरिक्त एडवोकेट जनरल ने कहा कि दोनों पुलिस कैडर का नेतृत्व पुलिस महानिदेशक करते हैं। कानून-व्यवस्था के लिए दोनों पुलिस को एक-दूसरे के विभाग में ट्रांसफर किया जा सकता है।
आईएएनएस
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