शॉपिंग व खानपान के हब हौज खास विलेज में सिर्फ दो इमारतों के पास है फायर एनओसी

Sabal Singh Bhati
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नई दिल्ली, 4 दिसम्बर ()। युवाओं और शराब प्रेमियों का पसंदीदा स्थान दक्षिण दिल्ली का हौज खास विलेज आग का खतरा मुंह बाए खड़ा है।

यह इलाका रेस्टो-बार और हाई-एंड बुटीक के लिए प्रसिद्ध है। दिल्ली फायर सर्विस (डीएफएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह इलाका भीड़भाड़ वाला है और संकरी सड़कें हैं, दमकल की गाड़ियां इन गलियों में प्रवेश नहीं कर सकती हैं।

ट्रेंडी बार और भीड़ युवाओं को हौज खास गांव की ओर आकर्षित करती है, जहां लोगों के पास चलने के लिए मुश्किल से ही जगह होती है। लेकिन आगंतुक यह भूल जाते हैं कि यह स्थान अवैध व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का एक केंद्र है, जो किसी के जीवन के लिए खतरा हैं। यहां के अधिकांश प्रतिष्ठान बुनियादी अनिवार्य कानूनी सावधानियों का पालन नहीं करते हैं।

इलाके में 60 से अधिक रेस्तरां चल रहे हैं, लेकिन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अग्निशमन विभाग का कहना है कि केवल दो प्रतिष्ठानों के पास अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) है, शेष बिना एनओसी के चल रहे हैं।

अधिकारी ने कहा, संकरी गलियों में होने के कारण पूरा क्षेत्र असुरक्षित है। उनमें से अधिकांश एनओसी के लिए भी पात्र नहीं हैं। कई रेस्तरां इमारतों की दूसरी या तीसरी मंजिल से संचालित हो रहे हैं जो न केवल अवैध है बल्कि खतरनाक भी है।

अधिकांश रेस्तरां ने एनओसी प्राप्त करने के लिए बैठने की व्यवस्था को पात्रता मानदंड से नीचे रखा है। अधिकांश बार-सह-रेस्तरां में 45-46 से कम सीटें हैं। यदि वे इसे 50 से अधिक सीटों तक विस्तारित करते हैं, तो उन्हें एनओसी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।

डीएफएस के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा, अधिकांश रेस्टो-बार आवश्यकता श्रेणी में फिट नहीं हैं, इसलिए अग्निशमन विभाग उन्हें अनुमति नहीं देगा, भले ही वे एनओसी के लिए आवेदन करते हों। यह क्षेत्र संकरा है और दमकल की गाड़ियां वहां नहीं पहुंच सकती हैं। यहां आग का जोखिम दोगुना हो जाता है।

2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी कहा था कि हौज खास गांव एक टिक टिक टाइम बम है।

अदालत ने यह भी देखा था कि न तो सरकारी एजेंसियों और न ही रेस्तरां मालिकों ने सुरक्षा और अन्य मुद्दों पर उसके सवालों का जवाब दिया है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली पीठ ने रेस्तरां मालिकों के संघों को चेतावनी दी थी कि किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मामले में उन्हें दीवानी और आपराधिक दायित्व से बचने की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि क्षेत्र में आपातकालीन वाहनों के प्रवेश के लिए कोई जगह नहीं थी।

अधिकारियों ने दावा किया कि कोर्ट की टिप्पणी रेस्तरां और कई अन्य छोटी व्यावसायिक इकाइयों को प्रेरित करेगा जो मौजूदा अग्नि सुरक्षा मानदंडों के अनुसार कार्य करने में विफल रहे हैं।

यह टिप्पणी 2019 में करोल बाग के होटल अर्पित पैलेस में आग लगने के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा गठित एक उप-समिति के सुझावों के बाद आया, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी।

हालांकि अदालत की टिप्पणी के पांच साल बाद भी अधिकारियों की नाक के नीचे अवैध कारोबार चल रहा है। इसने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सीबीटी

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times