कॉलेजियम की चर्चाओं को आरटीआई के जरिए सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

Sabal Singh Bhati
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नई दिल्ली, 9 दिसंबर ()। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कॉलेजियम की बैठक को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत लाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, सभी कॉलेजियम सदस्यों द्वारा तैयार और हस्ताक्षरित एक प्रस्ताव को ही अंतिम निर्णय कहा जा सकता है।

पीठ ने कहा कि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अंतिम निर्णय कॉलेजियम द्वारा उचित परामर्श के बाद ही लिया जाता है और परामर्श के दौरान कुछ निर्णय होते हैं, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता है। कोई संकल्प नहीं लिया जाता है, यह नहीं कहा जा सकता है कि एक अंतिम निर्णय कॉलेजियम द्वारा लिया जाता है।

पीठ ने कहा, कॉलेजियम एक बहु-सदस्यीय निकाय है जिसका निर्णय औपचारिक रूप से तैयार और हस्ताक्षरित किए जा सकने वाले संकल्प में शामिल होता है। उन्होंने कहा कि केवल अंतिम निर्णय को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है।

इसमें आगे कहा गया है कि कॉलेजियम में जिन बातों पर चर्चा हुई थी, उसे सार्वजनिक डोमेन में वह भी आरटीआई अधिनियम के तहत डालने की जरूरत नहीं है।

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने एक्टीविस्ट अंजलि भारद्वाज की एक याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें 12 दिसंबर, 2018 को आयोजित एक बैठक के संबंध में शीर्ष अदालत के कॉलेजियम के एजेंडे की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 2 दिसंबर को रिटायर्ड जजों की आलोचना करते हुए कहा था, कॉलेजियम द्वारा पहले लिए गए फैसलों पर टिप्पणी करना उनके लिए एक फैशन बन गया है और मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को पटरी से नहीं उतारना चाहिए। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा था कि कॉलेजियम सबसे पारदर्शी संस्था है।

पीठ ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहती कि शीर्ष अदालत के कुछ पूर्व न्यायाधीश, जो कभी उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के सदस्य थे, अब इसके बारे में क्या कह रहे हैं।

पीठ ने कहा, आजकल, (कॉलेजियम के) पहले के फैसलों पर टिप्पणी करना एक फैशन बन गया है, जब वे (पूर्व न्यायाधीश) कॉलेजियम का हिस्सा थे। इसने आगे कहा, हम उनकी टिप्पणियों पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं।

कॉलेजियम, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई कर रहे थे और इसमें चार वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस लोकुर, ए.के. सीकरी, एस.ए. बोबडे और एन.वी. रमना ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में कुछ निर्णय लिए। हालांकि, विवरण वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए गए थे। जनवरी 2019 में, कॉलेजियम ने अतिरिक्त सामग्रियों के आलोक में निर्णयों पर फिर से विचार किया।

एसकेके/एसकेपी

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times