एनएचआरसी ने बाल विवाह की कथित बढ़ती घटनाओं पर महाराष्ट्र सरकार और मराठवाड़ा के आठ जिला कलेक्टरों को नोटिस भेजा

Sabal Singh Bhati

नई दिल्ली, 23 दिसंबर ()। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में प्रचलित बाल विवाह के कदाचार, जिसके कारण बड़ी संख्या में महिलाएं दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं, को उजागर करने वाले अखबार के लेख का स्वत: संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव और मराठवाड़ा के आठ जिला कलेक्टरों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। लेख में इस क्षेत्र में कुछ बाल विवाह पीड़ितों की दुर्दशा के विषय में बताया गया था।

आयोग ने बताया कि उन्होंने पाया है कि बाल विवाह के पीड़ितों की दुर्दशा के बारे में यदि यह सत्य है, तो यह मराठवाड़ा क्षेत्र में गरीब लोगों, विशेष रूप से महिलाओं के जीवन, स्वतंत्रता, गरिमा और समानता से संबंधित मानव अधिकारों का उल्लंघन है। इसी को लेकर आयोग ने महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव और राज्य में जालना, औरंगाबाद, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, लातूर, उस्मानाबाद और बीड के जिला कलेक्टरों को नोटिस जारी कर मुद्दे के समाधान के लिए उठाए गए/प्रस्तावित कदमों सहित मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट 6 हफ्ते में देने की मांग की है।

आयोग ने अपने विशेष प्रतिवेदक पीएन दीक्षित को मराठवाड़ा क्षेत्र का दौरा कर डेटा एकत्र करने, बाल विवाह की समस्या का गहन अध्ययन करने और प्रभावी कानून के बेहतर कार्यान्वयन के लिए 3 महीने के भीतर उपाय सुझाने के लिए कहा है। आयोग ने यह भी कहा है कि इस सामाजिक बुराई से लड़ने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए सरकारी एजेंसियों को अधिक सतर्क और सक्रिय होना होगा।

आयोग ने कहा कि लेख में दावा किया गया है कि आंकड़ों के अनुसार, कोविड महामारी के बाद बाल विवाह के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे यह आवश्?यक हो जाता है कि सरकारी एजेंसियों की ओर से डेयरी फामिर्ंग, पोल्ट्री, फैशन डिजाइनिंग, कृषि-व्यवसाय और अन्य यांत्रिक प्रशिक्षण जैसे कौशल-आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है, ताकि समाज से बाल विवाह जैसी कुरीति को जड़ से खत्म किया जा सके।

एसपीटी/एएनएम

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Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times