दिल्ली की अदालत ने बीसीए प्रमुख राकेश तिवारी के खिलाफ मामले में क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की

Sabal Singh Bhati
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नई दिल्ली, 25 दिसंबर ()। बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी को बड़ी राहत देते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिसमें उनके खिलाफ एक महिला द्वारा छेड़छाड़ समेत बलात्कार के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट ने महिला द्वारा दायर विरोध याचिका को भी खारिज कर दिया है।

अदालत ने कहा कि अगर न्यायिक कार्यवाही में राकेश तिवारी को अनावश्यक रूप से परेशान किया गया तो यह अन्याय होगा। रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआर आठ महीने बाद दर्ज की गई थी। मोबाइल फोन के सीडीआर और सीएएफ शिकायतकर्ता के बयानों की पुष्टि नहीं करते और शिकायतकर्ता ने घटना का बदला हुआ विवरण दिया था। तथ्य यह है कि शिकायतकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 384 के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी, इस पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा भी विचार किया गया था।

उपरोक्त परिस्थितियों में खुद शिकायतकर्ता के अयोग्य बयान, रुख और रिकॉर्ड पर मौजूद अन्य सामग्री, इस पर अदालत का विचार है कि आरोपी के खिलाफ आगे कार्रवाई करने के लिए कुछ भी नहीं है। उसके विरुद्ध किसी सामग्री के अभाव में यदि न्यायिक कार्यवाही में उनको अनावश्यक रूप से प्रताड़ित किया जाता है तो यह घोर अन्याय होगा। इसलिए पुलिस द्वारा दायर की गई क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया जाता है और शिकायतकर्ता द्वारा दायर विरोध याचिका को खारिज कर दिया जाता है।

इस बीच, राकेश तिवारी ने से बात करते हुए कहा कि यह महिला 13 मामलों में शामिल है। अंबाला कोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज एक मामले में उसे अपराधी घोषित किया था। वह ओपी तिवारी के साथ मिलकर एक रैकेट चला रही थी और पैसे ऐंठने की कोशिश कर रही थी। जब ओपी तिवारी को निलंबित कर दिया गया तो उन्होंने और चित्रा ने हमें फंसाने की कोशिश की, लेकिन उनका पदार्फाश हो गया।

दिल्ली पुलिस ने अक्टूबर में पटना में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन काउंसिल के एक अधिकारी ओम प्रकाश तिवारी के घर पर छापा मारा था। ओपी तिवारी कथित तौर पर कदमकुआं इलाके के दीप लीला अपार्टमेंट में रहते हैं, जहां दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने बिहार पुलिस की मदद से छापेमारी की थी।

दिल्ली पुलिस ने ओपी तिवारी के खिलाफ जबरन वसूली की एफआईआर दर्ज की, जिन्होंने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न मामले में राकेश तिवारी को फंसाने की कोशिश की थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने शुरुआत में संसद थाने में एफआईआर दर्ज की और बाद में पटियाला हाउस कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जिसे अब कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।

पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट में जिक्र किया था कि बीसीए अध्यक्ष तिवारी को निशाना बनाया जा रहा था और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। पुलिस ने यह भी जिक्र किया है कि शिकायतकर्ता और उसका भाई झूठ बोल रहे थे। इसके बाद पुलिस ने इनके खिलाफ रंगदारी की एफआईआर दर्ज की थी।

महिला कथित तौर पर बीसीसीआई मैचों में चयन में मदद करने के लिए युवाओं से पैसे लेती थी। आरोपी ओपी तिवारी से इनके गहरे संबंध हैं। महिला ने पुलिस को शपथ पत्र भी दिया है कि उसने दूसरों के बहकावे में आकर एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस जांच में पाया कि ओपी तिवारी इन सबके पीछे मास्टरमाइंड था।

एफजेड/एसकेपी

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