वयस्क एक साथ रहने को स्वतंत्र: हाईकोर्ट

Sabal Singh Bhati

प्रयागराज, 1 जनवरी ()। इलाहाबाद उच्च न्यायालय (एचसी) ने कहा है कि दो वयस्क एक साथ रहने के लिए स्वतंत्र हैं और किसी भी व्यक्ति को उनके शांतिपूर्ण लिव-इन रिलेशनशिप में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस फैसले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक लड़की के पिता द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वाइज मियां की इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आपसी सहमति के साथ दो वयस्कों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप वैध है।

खंडपीठ ने कहा कि एस. खुशबू बनाम कन्नियाम्मल के ऐतिहासिक मामले में शीर्ष अदालत ने कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के दायरे में आता है।

देश विदेश की तमाम बड़ी खबरों के लिए निहारिका टाइम्स को फॉलो करें। हमें फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। ताजा खबरों के लिए हमेशा निहारिका टाइम्स पर जाएं।

Share This Article
Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times