हिम्मतनगर (गुजरात), 11 अगस्त (आईएएनएस)। गुजरात में एक नवजात ने नौ दिनों तक अस्पताल में जिंदगी से लड़ते हुए दम तोड़ दिया। नवजात को उसके माता पिता ने जिंदा दफना दिया था लेकिन एक किसान ने उसे बचा लिया। गुरुवार सुबह हिम्मतनगर के सरकारी अस्पताल में इस नवजात ने अंतिम सांस ली।
सरकारी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आशीष कटारकर ने स्थानीय मीडिया को बताया कि बुधवार की रात उसे कई समस्याएं हुई हालांकि डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की, लेकिन सुबह करीब 5 बजे उसकी मृत्यु हो गई।
डॉक्टर ने कहा कि गोम्बोई पुलिस अधिकारी को मौत के बारे में सूचित कर दिया गया है और पुलिस प्रक्रिया पूरी होने के बाद, पोस्टमार्टम किया जाएगा और बाद में पुलिस के निर्देशो के अनुसार अंतिम संस्कार भी होगा। नवजात के माता-पिता न्यायिक हिरासत में हैं।
4 अगस्त को किसान हितेंद्रसिंह ने अपने खेत में बच्ची को दफना दिया था। कुछ पड़ोसियों की मदद से बच्ची को बचाया गया और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की मदद से हिम्मतनगर के सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
पुलिस को 24 घंटे से भी कम समय में बच्ची के माता-पिता मिल गए, जिनकी पहचान मंजुला और शैलेश बजनिया के रूप में हुई है। उन्होंने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि बच्चे को दफना दिया है क्योंकि उसका जन्म समय से पहले हो गया। आर्थिक रूप से कमजोर माता पिता ने बच्चे को दफनाने का फैसला लिया।
पुलिस ने हत्या के प्रयास के आरोप में माता-पिता को गिरफ्तार कर लिया है। अब शिशु की मौत के बाद दंपत्ति के खिलाफ हत्या की धारा लगाई जाएगी।
आईएएनएस
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