प्रतीक बब्बर ने इंडिया लॉकडाउन में अपनी प्रवासी की भूमिका को लेकर किया खुलासा

Kheem Singh Bhati
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मुंबई, 27 नवंबर ()। दम मारो दम, दरबार और ब्रह्मास्त्र में अपने काम से मनोरंजन उद्योग में अपनी पहचान बनाने वाले बॉलीवुड एक्टर प्रतीक बब्बर मधुर भंडारकर द्वारा निर्देशित अपनी आगामी फिल्म इंडिया लॉकडाउन के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसको लेकर अभिनेता ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस तरह की उनकी भू्िमका है।

इस फिल्म में वह माधव की भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रहे हैं, एक प्रवासी श्रमिक जो लॉकडाउन के कारण अपनी पत्नी के साथ अपने गांव वापस जाने के लिए मजबूर है।

अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए, प्रतीक ने कहा, मेरी भूमिका एक प्रवासी श्रमिक की है, जिसका जीवन एक ठहराव पर आ जाता है और वह इस दुविधा में फंस जाता है कि क्या उसे घर से दूर शहर में रहने की कोशिश करनी चाहिए या जाना बुद्धिमानी होगी।

इस सवाल पर कि उन्होंने अपने किरदार के लिए कैसे तैयारी की, अभिनेता ने कहा, हमने इस किरदार के लिए बहुत तैयारी की थी। मैं कुछ प्रवासी श्रमिकों से मिला और उनके साथ दिल से दिल की बातचीत की। उनकी शारीरिक भाषा से और वे अपने सांसारिक जीवन कैसे जीते थे। इन सभी दिन-प्रतिदिन के अवलोकनों ने मुझे माधव की भूमिका निभाने के बारे में जानकारी दी।

अभिनेता ने कहा कि एक और चुनौतीपूर्ण कार्य बोली सीखना था और पूर्णता के लिए, उन्होंने कोचिंग ली और फिल्में देखीं। बोली अलग थी, उच्चारण बहुत अलग थे। हमारे पास सेट पर एक संवाद कोच था जिसने हमें हर शब्द, संवाद और भावना के माध्यम से मदद की। यह तैयारी के बारे में थोड़ा सा था। मैं संदर्भ फिल्में भी देखीं, चक्र, आक्रोश, अंकुर, दो बीघा जमीन जिसमें प्रवासियों के समान चरित्र थे। उनके संघर्ष और गुस्से को समझना माधव की तैयारी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंतर्²ष्टि थी।

इंडिया लॉकडाउन आम लोगों पर महामारी और लॉकडाउन के प्रभाव के बारे में है। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि कितने लोग बेरोजगार हो गए, प्रवासी श्रमिकों के अपने मूल स्थानों पर वापस जाने का मुद्दा, और यौनकर्मियों को उनकी आय के स्रोत से वंचित कर दिया गया।

यह पूछे जाने पर कि फिल्म में देखने लायक क्या है और लोग इससे कैसे जुड़ेंगे, उन्होंने कहा, लोगों को इंडिया लॉकडाउन क्यों नहीं देखना चाहिए? यह एक भावना है जिसे हम सभी विश्व स्तर पर साझा करते हैं और यह सिर्फ हमारे देश तक ही सीमित नहीं है। यह है एक सार्वभौमिक रूप से साझा भावना। यह हमें एक साथ बांधता है। इंडिया लॉकडाउन दुनिया भर में मजदूरों और नागरिकों द्वारा अनुभव की जाने वाली चिंता, भ्रम और बेचैनी की भावनाओं और भावनाओं को चित्रित करता है।

अंत में अभिनेता ने कहा, मुझे लगता है कि महामारी से मुकाबला करना आसान नहीं था। यह उस समय की याद दिलाता है जब हम सभी ने एक साथ अंधेरे का अनुभव किया और एक साथ बाहर आए और प्रकाश पाया। मानव भावना का परीक्षण किया गया लेकिन हम मजबूत बनकर उभरे।

श्वेता बसु प्रसाद, प्रतीक बब्बर, अहाना कुमरा, साई तम्हनकर और प्रकाश बेलावाड़ी मुख्य भूमिकाओं में हैं, यह फिल्म 2 दिसंबर से जी5 पर स्ट्रीम होगी।

पीटी/एसकेपी

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