जोशीमठ, 30 मार्च ()। उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण मकानों में दरारें आने के बाद जिन लोगों को प्रशासन ने होटलों में स्थानांतरित किया था, उन्हें अब होटल मालिकों ने 31 मार्च तक होटल के कमरे खाली करने के लिए कहा है। राज्य में चारधाम तीर्थ यात्रा के लिए आगामी यात्रा सीजन के मद्देनजर होटल मालिकों की ओर से ऐसा कहा गया है।
हालांकि प्रशासन ने कहा है कि उसने सरकार को प्रभावित लोगों को होटलों में रखने के लिए समय सीमा बढ़ाने के लिए लिखा है। इस पर सरकार का जवाब आना बाकी है।
जनवरी के पहले सप्ताह में जोशीमठ में जमीन धंसने से लोग होटलों, धर्मशालाओं और किराए के मकानों में विस्थापित हो गए। होटलों में सरकार एक कमरे का रोज 950 रुपए किराया दे रही है। जो किराए के मकान में रह रहे हैं उन्हें पांच हजार रुपये हर माह दिए जा रहे हैं। जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र के विभिन्न होटलों, धर्मशालाओं में 181 परिवारों के 694 सदस्य ठहरे हुए हैं. उनके खाने-पीने का भी इंतजाम किया गया है
सरकार ने आपदा प्रभावित लोगों के लिए 31 मार्च तक होटलों में ठहरने की व्यवस्था की थी। अंतिम तिथि नजदीक आते ही होटल मालिकों ने प्रभावितों को कमरे खाली करने के लिए कहना शुरू कर दिया है।
होटल मालिक गोविंद सिंह का कहना है कि उनके होटल में 10 कमरे हैं। इनमें से दो कमरे आपदा प्रभावितों को दे दिए गए हैं। प्रशासन ने मार्च तक प्रभावितों को रखने को कहा था। अब उन्हें चारधाम यात्रा के लिए कमरों की जरूरत है। कई बार तीर्थयात्रियों के बड़े जत्थे आते हैं। ऐसे में यदि आपदा प्रभावित लोगों को यहां रखा जाएगा, तो वे तीर्थयात्रियों को कमरा उपलब्ध नहीं करा पाएंगे।
एक अन्य होटल मालिक कुलदीप का कहना है कि उनके होटल में छह कमरे हैं, इनमें से तीन आपदा से प्रभावित लोगों को दिए गए हैं। सरकार ने कहा था कि प्रति दिन एक कमरे के लिए 950 रुपये दिए जाएंगे, लेकिन अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया है।
कुलदीप ने कहा कि अब चारधाम यात्रा को देखते हुए कमरे खाली करने होंगे।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा, आपदा प्रभावित लोगों को 31 मार्च तक होटलों में शिफ्ट करने के आदेश (राज्य सरकार से) प्राप्त हुए थे। सरकार को 30 अप्रैल तक प्रभावितों को होटलों में रखने के लिए लिखा गया है।
उन्होंने कहा, 31 मार्च के बाद भी किसी भी आपदा प्रभावित व्यक्ति को होटलों से बाहर नहीं किया जाएगा। यदि कोई होटल मालिक प्रभावित लोगों को होटल छोड़ने के लिए कह रहा है, तो इसकी जांच की जाएगी।
एसडीएम कुमकुम जोशी ने कहा, हमारे पास आपदा प्रभावित लोगों को होटलों में ठहराने के लिए 31 मार्च तक की अनुमति थी। सरकार को अवधि बढ़ाने के लिए लिखा गया है। अधिकांश होटलों का किराया चुका दिया गया है। हालांकि, जीएसटी पूरा नहीं होने के कारण और कुछ होम स्टे और होटलों को किराए का भुगतान नहीं किया गया है।
जोशीमठ में आए धंसाव को लगभग तीन महीने हो चुके हैं। लेकिन आपदा प्रभावित लोगों की पीड़ा उन्हें सताती रहती है।
होटल में परिवार के साथ रह रही जोशीमठ के सिंहधर वार्ड की मीना देवी का कहना है कि उनका पांच सदस्यीय परिवार 13 जनवरी से एक कमरे में रह रहा है। होटल मालिक ने 31 मार्च तक कमरा खाली करने को कहा है। बाजार में किराए पर कमरा उपलब्ध नहीं है। अब हमें अपने टूटे-फूटे घर में लौटना होगा।
उसी होटल में ठहरी आपदा पीड़ित उखा देवी कहती हैं, हम किराए पर कमरा ढूंढ रहे हैं, लेकिन सेफ एरिया में नहीं मिल रहा है, हर जगह कमरे भरे हुए हैं।
इसी तरह आपदा पीड़िता रमा देवी कहती हैं, हमें एक धर्मशाला में आश्रय मिला था, लेकिन अब चारधाम यात्रा को देखते हुए हमें यहां से जाने के लिए कहा जा रहा है। मेरे दो बच्चे हैं। पति की मौत हो चुकी है। शुरुआत में खाना बनाने के लिए राशन दिया गया था, लेकिन अब वह भी नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी क्षेत्र में नहीं आ रही है।
राज्य आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा, अभी तक इस संबंध में जिलाधिकारी चमोली का पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। जिला प्रशासन द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार होटल व्यवसायियों और आपदा प्रभावित लोगों का पूरा ध्यान रखेगी।
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