झुंझुनूं की महिला को नंगे पैर चलने से हुआ कुटेनीयस लार्वा माइग्रेंस

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जयपुर। राजस्थान के झुंझुनूं की 55 वर्षीय महिला पिछले तीन महीनों से त्वचा पर लाल लकीरों और खुजली से परेशान थीं। दवा और घरेलू उपचार करने के बाद भी आराम नहीं मिला। त्वचा रोग विशेषज्ञों से परामर्श करने पर पता चला कि उन्हें कुटेनीयस लार्वा माइग्रेंस बीमारी है, जिसे आमतौर पर त्वचा पर रेंगने वाले कीड़े की बीमारी कहा जाता है। महिला का सफल इलाज करने वाले राजस्थान अस्पताल के डॉ. दिनेश माथुर ने बताया कि यह रोग उन लोगों में अधिक पाया जाता है जो नंगे पैर मिट्टी या खेतों में चलते हैं। कुत्ते-बिल्लियों की गंदगी से मिट्टी दूषित हो जाती है।

इस मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म कृमि लार्वा पैरों या शरीर के खुले हिस्सों से त्वचा में घुसकर सांप जैसी रेखाएं बनाते हुए रेंगते हैं। इसलिए नंगे पैर न चलें, पालतू जानवरों को कृमिनाशक दवा दें और स्वच्छता का ध्यान रखें। डॉ. माथुर ने बताया कि यह मामला केवल एक उदाहरण है। ग्रामीण क्षेत्रों में परजीवी बीमारियां बड़ी समस्या हैं। समय पर इलाज न मिलने पर मरीज महीनों तक परेशान रह सकता है। त्वचा पर खुजलीदार लकीरें दिखने पर तुरंत त्वचा रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। इस बीमारी का इलाज कठिन नहीं है। डॉक्टर की सलाह पर कुछ दिनों तक एलबेंडाजोल या आइवरमेक्टिन दवा लेने से रोग ठीक हो जाता है। खुजली और घावों के लिए सहायक दवाएं दी जाती हैं।

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