जोधपुर। राजस्थान का जोधपुर संभाग एक बार फिर लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) की चपेट में है। यह वही बीमारी है जिसने दो साल पहले हजारों गौवंश को मौत के घाट उतार दिया था और पशुपालकों की आजीविका चौपट कर दी थी। अब फिर वही भयावह मंजर लौटने लगा है। आंकड़े साफ बता रहे हैं कि संभाग में 200 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित सिरोही और पाली जिले हैं। जोधपुर संभाग में अब तक 201 गौवंश में लम्पी संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है।
इनमें से 93 गौवंश स्वस्थ हो गए हैं, जबकि 108 अब भी बीमारी से जूझ रहे हैं। पशुपालन विभाग की ओर से दावा किया जा रहा है कि हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन जमीनी हालात कुछ और कहानी कह रहे हैं। पशुपालक परेशान हैं, मवेशियों की सेहत दांव पर है और दूध उत्पादन में भारी गिरावट का डर मंडरा रहा है। इधर पशु विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. मनमोहन नागौरी और संयुक्त निदेशक डॉ. अरविंद का कहना है कि हालात नियंत्रण में हैं, आरआरटी (रेपिड रिस्पॉन्स टीम) सक्रिय है, वैक्सीनेशन हो रहा है।
बाड़मेर से 25 हजार वैक्सीन मंगवाई गई हैं। विभाग सलाह दे रहा है कि संक्रमित पशु को आइसोलेट किया जाए, कीटनाशक-रसायन का छिड़काव किया जाए और पशुओं के बाड़े की साफ-सफाई रखी जाए। लेकिन सवाल यह है कि जब ग्रामीण अंचल में कीटनाशकों और दवाइयों की उपलब्धता ही सीमित है तो पशुपालक कहां से इंतजाम करें? पशुपालकों की कड़वी यादें पशुपालक आज भी 2022 का वह दर्दनाक दौर नहीं भूल पाए हैं, जब लम्पी ने हजारों गौवंश को लील लिया था। दूध उत्पादन घट गया था, लाखों की आर्थिक हानि हुई थी।
सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा तो की थी, पर जमीनी स्तर पर मुआवजा पशुपालकों तक समय पर नहीं पहुंचा। आज हालात वही दिशा दिखा रहे हैं। सिरोही और पाली बने हॉटस्पॉट सिरोही: 75 मामले सामने आए, जिनमें से 48 अब भी सक्रिय। पाली: 60 मामले, 35 अब भी संक्रमित। बालोतरा: 32 मामले, जिनमें से 18 संक्रमित। जैसलमेर: 7 संक्रमित पशु। जोधपुर: 27 मामले, सभी ठीक हो चुके। जालोर और बाड़मेर: फिलहाल शून्य, लेकिन खतरे से इनकार नहीं।