गणेश मंदिर में मनोकामना लिखने की अनूठी परंपरा

Tina Chouhan

कोटा। शहर के बूंदी रोड स्थित गणेशपाल पर बना मनोकामना सिद्ध श्री गणेश मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि एक अनूठी परंपरा का साक्षी भी है। यहां श्रद्धालु अपनी मन की बात एक विशेष रजिस्टर में लिखते हैं, जिसे पुजारी गणेश भगवान के सामने पढ़कर सुनाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही श्रद्धा से निभाई जा रही है, जितनी प्राचीनकाल में चिट्ठी में लिखी जाती थी। रजिस्टर में लिखी श्रद्धालुओं की मनोकामना को पुजारी जी गणेश भगवान के सामने रखकर सुनाते हैं।

प्राचीन समय से चली आ रही पंरपरा में श्रद्धालुओं में अटूट आस्था है। वर्तमान में गणेशपाल के मनोकामना सिद्ध गणेश की ख्याति देश-विदेश तक फैली हुई है। डिजिटल युग के चलते लोग पुजारी के माध्यम से ऑनलाइन दर्शन भी करते हैं। पुजारी हर्षवर्धन शर्मा एवं योगेन्द्र शर्मा ने बताया कि श्रद्धालुओं की मनोकामना के लिए रजिस्टर भी बढ़ा दिए गए हैं। शादी की मनोकामना, नौकरी के लिए तथा अन्य कोई कामना हो, तो उन सबके लिए अलग-अलग रजिस्टर रखे गए हैं। तालाब की पाल पर बनने के कारण गणेशपाल नाम पड़ा।

पुजारी हर्षवर्धन शर्मा ने बताया कि कोटा की स्थापना से पूर्व की है। पुराने समय में एक चबूतरा बना था जहां गणेश प्रतिमा स्थापित थी। 800 वर्षों से जल रहा है आस्था का दीपक। हर्षवर्धन शर्मा ने बताया कि यह मंदिर 800 साल से भी अधिक पुराना है। शुरूआत में यह गणेश मंदिर केवल एक चबूतरे के रूप में तालाब की पाल पर बना था, लेकिन भक्तों की बढ़ती आस्था और मनोकामनाओं के पूर्ण होने से यह एक भव्य मंदिर के रूप में विकसित हो गया।

गणेश चतुर्थी के दिन जन्मोत्सव 12 बजे शृंगार व झांकी के दर्शन करवाए जाते हैं। मुख्य कार्यक्रम गणेशचतुर्थी के दिन होता है। वैसे दस दिन तक श्रद्धालु रोजाना दर्शन करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर लगाते हैं ‘राइट’ का निशान। यहां आने वाले श्रद्धालु नौकरी, शादी व अपनी इच्छानुसार मन्नत मांगते हैं। प्राचीन काल में श्रद्धालु एक चिट्ठी लिखकर चले जाते थे। अब वर्तमान में सभी का अलग-अलग रजिस्टर बना हुआ है। हमारे यहां दो रजिस्टर हैं, एक मनोकामना तथा वर-वधु का रजिस्टर। मनोकामना पूरी होने के बाद राइट का निशान लगाने भी आते हैं।

वर्तमान में मनोकामना रजिस्टर का महत्व भी बढ़ गया है। अब इसकी ख्याति देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी फैलने लगी है। मनोकामना सिद्ध गणेश मंदिर में खास बात यह है कि जब किसी श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण हो जाती है, तो वे दोबारा मंदिर आकर उस रजिस्टर में अपनी लिखी प्रार्थना के आगे राइट का निशान लगा जाते हैं, जो आस्था का जीता-जागता प्रमाण बन गया है। डिजिटल युग के साथ कदम मिलाते हुए मंदिर ने अब ऑनलाइन दर्शन की भी सुविधा शुरू कर दी है, जिससे दूर-दराज बैठे श्रद्धालु भी पूजा में शामिल हो सकते हैं।

समय के साथ अलग-अलग समाजों के लिए अलग रजिस्टर बनाए गए, जिनका उपयोग वर-वधु की जानकारी देखने के लिए भी होने लगा। अब हर समाज का व्यक्ति इससे जुड़ गया। इसके कारण रजिस्ट्ररों की संख्या बढ़ती गई। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर अपनी मनोकामना लिखते हैं। पुजारी हर्षवर्धन शर्मा ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास 800 साल से भी अधिक पुराना है। श्रद्धालुओं के अनुसार यह गणेश मंदिर तालाब की पाल पर पहले चबूतरे के रूप में बना हुआ है। श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती गई। मंदिर आकर्षक व भव्य रूप में विकसित हुआ।

प्रदेश के अन्य जिले बूंदी, बारां, झालावाड़, चित्तौड़गढ़ सहित कई जगह से आते हैं। यहां तक कि मध्य प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, भोपाल, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और मुंबई के लोग भी यहां पर आकर अर्जी लगाकर जाते हैं। मंदिर में उनकी 19 पीढ़ी इस मंदिर में सेवा कर रही है। हमारे परदादा अमरलाल शर्मा पहले सेवाभाव व पूजा करते थे। पहले राज परिवार के लोग आया करते थे। अब वर्तमान में दूर-दराज के श्रद्धालु भी आने लग गए हैं। आज भी श्रद्धालु मानते हैं कि यहां की हर लिखी प्रार्थना गणेशजी तक जरूर पहुंचती है।

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