कोटा के मुकणा गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की इच्छाएं पूरी होती हैं

Tina Chouhan

कोटा के मोखापाड़ा क्षेत्र में स्थित मुकणा गणेश मंदिर एक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ सदियों पुरानी आस्था और परंपरा का प्रतीक है। यह मंदिर लगभग तीन सौ साल पुराना माना जाता है और आज भी प्राचीन शैली में खड़ा है। यहां के पुजारी और श्रद्धालुओं की भक्ति इसे विशेष बनाती है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना मुकणा गणेश जी पूरी करते हैं। मंदिर में सात सीढ़ियां हैं और इसकी मूर्ति पत्थर की बनी हुई है। जो भी श्रद्धालु अपनी व्यथा लेकर आते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है।

विवाह की इच्छा रखने वाले युवक-युवतियां यहां आकर अपनी शादी की मनोकामना करते हैं। जब विवाह तय हो जाता है, तो परिवार मंदिर से पांच छोटे कंकर गणेश जी का प्रतीक मानकर घर ले जाते हैं और शादी के बाद इन्हें वापस मंदिर में अर्पित कर देते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। क्षेत्रवासी हर शुभ अवसर पर सबसे पहले गणेश जी को न्योता भेजते हैं, चाहे वह विवाह हो, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार या अन्य धार्मिक आयोजन। श्रद्धालुओं का मानना है कि ऐसा करने से सभी कार्य सरलता से सम्पन्न होते हैं।

मंदिर तक पहुंचने के लिए परकोटे के अंदर से जाना पड़ता है, जहां की गलियां आज भी पुराने शहर की शैली को संजोए हुए हैं। मंदिर में मुकणा गणेश के चांदी के मुकुट, चांदी के दांत और चांदी का छत्र है। यहां पूजा-अर्चना सिद्धी-विनायक की तर्ज पर होती है। रोजाना लगभग दो सौ श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं। हालांकि, इस मंदिर का कोई प्राचीन शिलालेख नहीं है, लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी आने वाले श्रद्धालुओं के अनुसार यह तीन सौ साल पुराना है। श्रद्धालु पुरानी हवेलियों और संकरी गलियों से गुजरते हुए मंदिर तक पहुंचते हैं।

सदापूरण गणेश मंदिर भी मोखापाड़ा में स्थित है, जो अपनी अनूठी मान्यताएं रखता है। श्रद्धालु अपनी इच्छाएं मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर भेंट चढ़ाते हैं। इस मंदिर में मूषक भी विराजमान है। हर बुधवार को मंदिर खुला रहता है और महाआरती के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। दूर से आने वाले श्रद्धालु कभी भी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यहां सालाना जागरण और धार्मिक कार्यक्रम चलते रहते हैं। मुख्य पुजारी पं. आलोक शर्मा ने बताया कि इस मंदिर के लिए कोई ट्रस्ट नहीं है, बल्कि यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी सेवाभाव से चल रहा है।

कई श्रद्धालु पीढ़ी-दर-पीढ़ी यहां आते हैं। गणेश चतुर्थी के विशेष दिन पर वीआईपी लोग भी यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं।

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