बिहार के सियासी दलों की महत्वाकांक्षा से जूझ रहे हैं

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार की 243 सीटों पर महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधी टक्कर नहीं होने जा रही है। दोनों ही गुट अपने लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से परेशान हैं। एक ओर एनडीए में चिराग पासवान की बढ़ती राजनीतिक महत्वाकांक्षा समूह के प्रबंधन को परेशान कर रही है, दूसरी ओर महागठबंधन को भी अनेक धार्मिक और जातीय संगठन हलकान कर रहे हैं। सत्ता की लड़ाई में इसे महागठबंधन का दुर्भाग्य कहें या वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में राजनीतिक महत्वाकांक्षा के साथ चुनावी जंग में उतर चुकी नई-नई पार्टियों का प्रभाव।

सबसे ज्यादा नुकसान महागठबंधन में शामिल दलों को होने वाला है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये छोटी पार्टियां महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधी लड़ाई को बहुकोणीय बना रही हैं। अब सवाल उठता है कि ये नई पार्टियां किस खास दल या गठबंधन का नुकसान पहुंचाएंगी? बिहार में जाति आधारित पार्टियों का एक अपना वोट बैंक है। ऐसी पार्टियां क्या करिश्मा करेंगी, यह देखना होगा। वर्ष 2025 का चुनावी जंग कुछ नई पार्टियों के चुनावी जंग में शामिल होने का गवाह बनेगा।

इनमें से कुछ जाति और कुछ धर्म आधारित पार्टियां हैं जो सीधे महागठबंधन को नुकसान पहुंचाते हुए नजर आ रही हैं। जाति आधारित पार्टियों को भाजपा की बी टीम बताया जा रहा है, इस खास वजह से चुनावी जंग में उतर चुकी कई पार्टियों पर बीजेपी का बी टीम होने का आरोप लगा है। कुछ दलों को यहां तक कहा जाने लगा है कि ये सत्ता द्वारा स्पॉन्सर्ड पार्टियां हैं। इस आरोप का तर्क यह है कि ये पार्टियां महागठबंधन के आधार वोट को काटती हैं, जिसका फायदा सीधे सत्ताधारी दल को होता है।

तेजप्रताप की नाराजगी तेजस्वी को महंगाई के आधार पर महागठबंधन के लिए सबसे बड़ा नुकसान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के भाई ही कर रहे हैं। राजद से निष्कासित होने के बाद तेज प्रताप अपने भाई तेजस्वी यादव के खिलाफ खड़े हो गए हैं। बहुत दिन लगा जैसे सुलह हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में तेज प्रताप के पास पार्टी बनाने का कोई विकल्प नहीं था। फिर उन्होंने पहले टीम तेज प्रताप यादव बनाई और फिर जनशक्ति जनता दल बना कर चुनावी जंग में उतरने का ऐलान किया। अब महागठबंधन की परेशानी शुरू हो गई है।

तेज प्रताप की पार्टी चुनाव में उतरी तो राजद के आधार वोट यानी एमवाई पर चोट करेगी, जो सीधा नुकसान महागठबंधन के उम्मीदवार को करेगी। तेज प्रताप यादव बने संकट महागठबंधन के लिए तेज प्रताप और भी संकट खड़े कर देंगे जब जनशक्ति दल विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा (बीजेएम), प्रगतिशील जनता पार्टी (पीजेपी), वाजिब अधिकार पार्टी (डब्ल्यूएपी) और संयुक्त किसान विकास पार्टी (एसकेवीपी) के साथ-साथ एआईएमआईएम का भी गठबंधन हो जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव में सुभासपा भी अपना भाग्य आजमाने जा रही है। जनसुराज पार्टी की चुनौती जनसुराज का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।

जिस गति से प्रशांत किशोर की बात लोगों तक पहुंच रही है, वह इस चुनाव में एक शक्तिशाली राजनीतिक फोर्स बनने जा रही है। अगर प्रशांत किशोर अपने वादे पर कायम रहे और 75 सीट मुस्लिम और 75 सीट अति पिछड़ों को दे दिया तो यह राजद के लिए बहुत घातक हो सकता है। ऐसे में मुस्लिम वोट के विभाजन से खतरा महागठबंधन के उम्मीदवारों को होगा। वैसे भी प्रशांत किशोर के हमले का कोण लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव बनते रहे हैं, ऐसे में प्रबुद्ध यादव का मत प्रशांत किशोर को मिला तो भी महागठबंधन की परेशानी बढ़ेगी।

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