कर्नाटक में जाति जनगणना 22 सितंबर से शुरू होगी: सीएम

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

बेंगलुरु। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग के नेतृत्व में नई जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन मधुसूदन नायक की अगुवाई में एक समिति बनाई गई है। यह समिति 22 सितंबर से 7 अक्टूबर तक राज्यभर में पुनः सर्वेक्षण करेगी। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को यहां एक पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुनः सर्वेक्षण पर वर्तमान में 420 करोड़ रुपये खर्च होंगे और आवश्यकता पड़ने पर अधिक धनराशि भी उपलब्ध कराई जाएगी।

सिद्धारमैया ने इस जनगणना को सभी को समानता देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण बताया और सभी नागरिकों से इसमें भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण में पूछे गए 60 सवालों के उत्तर सभी को देने चाहिए। समाज में कई जातियां और धर्म हैं, संघर्ष और असमानता भी है, लेकिन संविधान सभी को समान अवसर और सामाजिक न्याय देने की बात करता है। अंबेडकर ने आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक असमानता की बात की थी। यदि इस लोकतंत्र को जीवित रहना है, तो असमानता को समाप्त करना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि असमानता से पीड़ित लोग लोकतंत्र की नींव को नष्ट कर देंगे। समाज में असमानता को नहीं रहने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक राज्य की वर्तमान जनसंख्या सात करोड़ है और लगभग दो करोड़ परिवार हैं। उन्हें समान अवसर मिलना चाहिए, जैसा कि संविधान कहता है। समानता और समान अवसर प्रदान करना हमारा कर्तव्य है, इसलिए 2015 में एक सर्वेक्षण कराया गया था। उन्होंने कहा कि कांताराजू के नेतृत्व में एक सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें शिक्षा, रोजगार, जाति और धर्म का पता लगाने के लिए जानकारी जुटाई गई थी।

इसका उद्देश्य यह था कि यदि उनके बारे में जानकारी होगी, तो योजनाएं प्रदान करना आसान होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने गारंटी योजना के माध्यम से असमानता कम करने की कोशिश की है। हम अवसरों के जरिए समानता लाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद, वंचितों को अवसर देने के लिए उनके बारे में जानकारी और संबंधित आंकड़े होना आवश्यक है। अमेरिका में अश्वेतों के लिए आरक्षण है।

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