नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर में चीन की पीएलए-नेवी की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारत फिलीपीन को ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों की तीसरी खेप देने जा रहा है। फिलीपीन को ब्रह्मोस देने पर चीन ने आपत्ति जताई है, लेकिन भारत ने इसे नजरअंदाज कर दिया है। फिलीपीन ने ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए भारत से लगभग 3,310 करोड़ रुपये का सौदा किया था। पिछले साल मिसाइलों की पहली खेप और इस साल अप्रैल में दूसरी खेप फिलीपीन को दी गई थी, जिसे उसने अपनी नौसेना में शामिल कर लिया है। अब तीसरी और अंतिम खेप इस साल के अंत तक भेजी जाएगी।
चीन फिलीपीन के विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर के हिस्सों पर भी अपना दावा करता है। ऐसे में 290 किलोमीटर की रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल फिलीपीन को अपने क्षेत्र की रक्षा में सक्षम बनाएगी। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में चीन मामलों के विशेषज्ञ अतुल कुमार ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल चीन के नौसैनिक ठिकानों, जहाजों और तटरक्षक पोतों के लिए विशेष खतरा हैं। चीनी विमानवाहक युद्धपोतों को ब्रह्मोस काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं। ये मिसाइलें स्कारबोरो शोल, द्वितीय थॉमस शोल और ताइवान जलडमरूमध्य से स्प्रैटली द्वीप समूह तक फैले क्षेत्र को कवर कर सकती हैं।
दक्षिण चीन सागर, जो लगभग 35 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ प्राकृतिक गैस और तेल का बड़ा भंडार भी है। चीन कई दूर स्थित द्वीपों और रेतीले टीलों पर दावा करता है, जबकि वियतनाम, फिलीपीन, मलयेशिया और ताइवान भी अपने दावे रखते हैं। वियतनाम और इंडोनेशिया भी ब्रह्मोस खरीदने के लिए तैयार हैं। पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की मांग में तेजी आई है।
भारत कई देशों के साथ इस मिसाइल का सौदा कर सकता है, जिसमें चीन का एक और प्रतिद्वंद्वी वियतनाम भी शामिल है, जिसके साथ करीब 6,000 करोड़ रुपये का सौदा जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है। भारत इंडोनेशिया के साथ भी ऐसा ही सौदा कर सकता है। इन सभी देशों के साथ चीन का टकराव होता रहा है।


