हिमाचल प्रदेश में बारिश से हुई तबाही और लापता लोग

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

शिमला। मानसून वापसी के दौरान हुई बारिश ने हिमाचल प्रदेश में कई जगहों पर तबाही मचा दी है और मंडी, शिमला और कुछ अन्य जिलों में व्यापक नुकसान के निशान छोड़ दिये हैं। अतिवृष्टि से अचानक आयी बाढ़, नालियों में पानी भर जाने और भूस्खलन के कारण शहर और गांव दोनों तबाह हो गये, कई वाहन बह गये, कई घर पानी में डूब गये और कई परिवार मलबे में दब गये।

मंडी जिले में बारिश के कारण सोन खाद नाला रात दो और तीन बजे ओवरफ्लो हो गया, जिससे धरमपुर बस स्टैंड और आसपास के घरों और दुकानों में पानी भर गया। बाढ़ में 10 से अधिक सरकारी बसें और कई निजी वाहन बह गये। चश्मदीदों ने बताया कि पानी का बहाव इतना तेज था कि कई घरों की पहली मंजिल डूब गयी थी। भाजपा नेता रजत ठाकुर ने दावा किया कि इलाके से कम से कम छह लोग लापता हैं। आज सुबह बाढ़ का पानी कम हुआ, जिसने अपने पीछे कीचड़ और गंदगी छोड़ते हुए बाजार को तबाह कर दिया।

एक अन्य दुखद घटना में मंडी के बरागटा गांव में आये भूस्खलन से एक घर ढह गया, जिसमें एक ही परिवार के पांच सदस्य दब गये। बचाव दल और गांववालों ने मलबे से दो लोगों को जीवित निकाला, जबकि एक शव बरामद किया गया है। लापता हुये दो अन्य लोगों को खोजने के लिए तलाशी अभियान जारी है। भारी बारिश से राजधानी शिमला में भी कई जगह भूस्खलन हुआ। हिमलैंड के बीसीएस स्कूल और पंजारी में 15 से अधिक सड़क पर पार्क गाड़यिां मलबे में दब गयीं।

शिमला की लाइफलाइन कही जाने वाली सर्कुलर रोड टालैंड के निकट आये एक बड़े भूस्खलन ने बाधित हो गयी, जिससे पूरे पहाड़ी शहर में यातायात जाम हो गया। शिमला मौसम केंद्र ने बारिश के मद्देनजर छह जिलों के लिये येलो अलर्ट जारी किया है, जिसमें बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर शामिल हैं। अगले तीन दिनों के बाद बारिश में कमी आने की उम्मीद है। एक जून से 15 सितंबर तक हिमाचल प्रदेश में रिकार्ड 991.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुयी, जो कि सामान्य 689.6 मिलीमीटर से 44 प्रतिशत अधिक है।

कुल्लू जिले में सबसे ज्यादा हालत खराब है, यहां सामान्य से 108 फीसदी अधिक बारिश हुयी, जबकि शिमला में बारिश सामान्य से 105 फीसदी दर्ज की गयी। मंडी (77 प्रतिशत), बिलासपुर (72 प्रतिशत), सोलन (71 प्रतिशत), हमीरपुर (58 प्रतिशत), ऊना (65 प्रतिशत), सिरमौर (40 प्रतिशत), चंबा (32 प्रतिशत), कांगड़ा (18 प्रतिशत), और किन्नौर (30 प्रतिशत) में बारिश काफी चिंताजनक रही है। मानसून से जुड़े हादसों में पहले ही राज्य में 409 लोगों की मौत हुई है। इनमें 76 मौतें बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने के कारण हुयी।

आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार जून से अब तक 140 भूस्खलन, 97 बाढ़ और 46 बादल फटने की घटनायें घट चुकी हैं। धरमपुर के डूबे बाजारों से लेकर शिमला में दबी कारों तक तबाही की तस्वीरें दिखाती हैं कि हिमाचल प्रदेश चरम मौसम की घटनाओं के प्रति कितना संवेदनशील है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पीछे हटता मानसून राहत देने के बजाय एक बार फिर इस पहाड़ी राज्य पर कहर बनकर टूटा है, जो परिवारों को बेघर कर रहा है, बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा रहा है।

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