जयपुर। आरयू के किसी विभाग में सेमिनार या संगोष्ठी में अतिथि को बुलाने के लिए कुलगुरु से लिखित अनुमति आवश्यक होगी। आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कार्यक्रम में कोई भी देश विरोधी गतिविधि, चर्चा, भाषण या गीत न हो। कुलगुरु प्रो. अल्पना कटेजा ने यह नियम 29 अगस्त को सिण्डीकेट में पास कर लागू किया है। इस निर्णय के तहत कुलगुरु तय करेंगी कि आरयू में कौन आएगा।
आरयू के विद्यार्थी, शोधार्थी और पूर्व शिक्षकों ने इस निर्णय को आपत्तिजनक बताया है और कुलगुरु से पूछा है कि उन्हें यह सार्वजनिक करना चाहिए कि अब तक आरयू कैम्पस में कितने आतंकवादी या देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोग आए हैं, जिसके आधार पर सिण्डीकेट ने यह निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय केवल कुलगुरु की विचारधारा से नहीं बल्कि सभी विचारधाराओं के सामंजस्य से चलता है। आरयू के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राजीव गुप्ता ने कहा कि हाल ही में भारत ने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेला है, इसे किस श्रेणी में रखा जाएगा?
‘डिफरेंश ऑफ ऑपिनियन’ ही भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती है, जिसे विश्वविद्यालय कैम्पस में खत्म कर दिया गया है। सिण्डीकेट के पांचवें पाइन्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय में होने वाले कार्यक्रम जैसे सांस्कृतिक/सेमिनार/कैम्प/वर्कशॉप/सम्मेलन आदि के लिए आयोजक को कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत कर कुलगुरु से अनुमोदित करानी होगी। आयोजक को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी कार्यक्रम में देश विरोधी गतिविधियों से संबंधित कोई गतिविधि/चर्चा/भाषण/गीत न हो। एनएसयूआई इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। विश्वविद्यालय अध्ययन, अध्यापन और शोध का केन्द्र है, जहां विभिन्न विचारधाराओं के लोग आते हैं और अपनी बात रखते हैं।
यह कांग्रेस सहित अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों को आरयू से दूर रखने की साजिश है।-महेश चौधरी, प्रदेश उपाध्यक्ष, एनएसयूआई।


