11 वर्षीय बच्चे की मोनोपोर्टल सर्जरी से मिली नई उम्मीद

Tina Chouhan

जयपुर। राजधानी जयपुर के गीतांजली हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने भारत और एशिया में सबसे कम उम्र के कौडा इक्काइना सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे का सफल इलाज मोनोपोर्टल एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी द्वारा किया है। इस इस उपलब्धि को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मान्यता मिली है। यह सर्जरी डॉ. धीरज विश्वकर्मा सहायक प्रोफेसर न्यूरोसर्जरी, गीतांजली इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा 11 वर्षीय अलवर निवासी बच्चे पर की गई। बच्चे को गंभीर कमर दर्द, पेशाब रोकने की समस्या और चलने में परेशानी थी।

जांच में पता चला कि उसे लम्बर डिस्क हर्नियेशन के साथ CES है, जो बच्चों में बेहद दुर्लभ (वैश्विक स्तर पर 3% से भी कम) होता है। डॉ. विश्वकर्मा ने एक 8 मिमी के छोटे चीरे से मिनिमली इनवेसिव तकनीक अपनाई। इस प्रक्रिया से ऊतक क्षति कम हुई और रीढ़ की वृद्धि सुरक्षित रही। नतीजा यह रहा कि बच्चा अगले ही दिन चलने लगा और तीन दिन में मूत्र नियंत्रण भी वापस पा लिया। अनुराग जैन, ग्रुप वाइस प्रेसिडेंट, गीतांजली इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ ने कहा कि यह उपलब्धि राजस्थान और भारत दोनों के लिए मील का पत्थर है।

हमारी कोशिश है कि हम मरीजों को विश्वस्तरीय इलाज दें-आधुनिक तकनीक, विशेषज्ञ डॉक्टरों और मरीज-प्रथम दृष्टिकोण के साथ। हमारे आगामी कार्डियक साइंसेज और ऑन्कोलॉजी विभाग इस दिशा में और मजबूती देंगे, जहां हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का पूरा इलाज जांच से लेकर सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी तक एक ही छत के नीचे उपलब्ध होगा। प्रो. (डॉ.) अशोक गुप्ता, डीन एवं प्रिंसिपल, गीतांजली इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने कहा कि यह केवल एक चिकित्सकीय सफलता नहीं, बल्कि मेडिकल एजुकेशन के लिए भी बड़ी उपलब्धि है।

यह केस हमारे छात्रों और रेज़िडेंट्स को वास्तविक अनुभव से सीखने का मौका देते हैं, जिससे मरीज सेवा, शिक्षा और शोध को जोड़ने का हमारा विज़न और मजबूत होता है।

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