नई दिल्ली। भारत ने 12 साल पुराने 2जी स्पेक्ट्रम विवाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी जीत हासिल की है। इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ने मॉरीशस स्थित कंपनी खैतान होल्डिंग का भारतीय सरकार के खिलाफ 96 करोड़ डॉलर यानी 85 अरब 14 करोड़ 95 लाख से ज्यादा रुपए के दावे को खारिज कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के ट्रिब्यूनल ने मॉरीशस की कंपनी के सभी दावों को खारिज करते हुए भारत के खिलाफ किसी भी दावे को मान्यता नहीं दी।
फैसले के साथ ही भारत सरकार के खिलाफ लंबित अंतरराष्ट्रीय निवेश विवाद खत्म हो गया है और इसमें जीत भारत की हुई है। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कई कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए थे। इसमें खैतान होल्डिंग भी शामिल थी। मॉरीशस की कंपनी लूप टेलीकॉम का हिस्सा थी। लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद कंपनी ने दावा किया था कि उसे अन्यायपूर्ण तरीके से बाहर किया गया। कंपनी ने कहा कि वो एक निष्पक्ष निवेशक थी और उसे बाहर करना न्यायसंगत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, लूप ने जो 22 लाइसेंस भारत में मोबाइल सेवाएं शुरू करने के लिए हासिल किए थे, उनमें से 21 रद्द कर दिए गए। इसके बाद लूप मोबाइल ने काम बंद कर दिया, केवल मुंबई में लाइसेंस होने के कारण वो काम कर रहा था। इसके बाद 2013 में खैतान ने मॉरीशस-भारत निवेश संधि के तहत संयुक्त राष्ट्र ट्रिब्यूनल में 51.6 करोड़ के साथ 44.4 करोड़ डॉलर ब्याज का दावा किया। भारत ने इस दावे की वैधता पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि ट्रिब्यूनल के पास मामले को सुनने का कोई आधार नहीं है।
भारत ने मॉरीशस के साथ की गई संधि में किए गए बदलावों का हवाला दिया, जिसमें धोखाधड़ी या गलत कामों में शामिल निवेशकों को दावे से बाहर रखा गया है। किसने की सुनवाई और भारत की तरफ से कौन हुआ शामिल? मामले की सुनवाई न्यूजीलैंड, कनाडा और फ्रांस के ट्रिब्यूनल सदस्यों-कैम्पबेल मैक्लाचलन केसी, बिल रोले और ब्रिगिट स्टर्न ने की। उन्होंने खैतान के सभी दावों को खारिज कर दिया और भारत के खिलाफ कोई मामला नहीं पाया। इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में भारत की तरफ से मामले में वरिष्ठ वकीलों और पूर्व सरकारी कानूनी सलाहकार शामिल हुए।