जयपुर डेस्क। महात्मा गांधी की विचारधारा और दर्शन आज भी वैश्विक मंच पर जीवित हैं। भारत सरकार के अनुसार, 102 देशों में गांधी की प्रतिमाएं मौजूद हैं, जिनमें से 82 देशों में पूणाकृर्ित मूर्तियां स्थापित हैं। यह दर्शाता है कि गांधी का संदेश सीमाओं से परे जाकर दुनिया के लिए प्रेरणा बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2007 में 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने गांधी को 21वीं सदी के लिए प्रासंगिक शांति-दूत करार दिया।
विवाद और आलोचना गांधी का सम्मान विश्व भर में है, लेकिन कुछ देशों और समूहों में उनके विचारों और अभिव्यक्तियों पर विवाद भी हुआ है। उदाहरण के लिए, घाना के यूनिवर्सिटी ऑफ घाना में गांधी की प्रतिमा को हटाने की मांग हुई क्योंकि कुछ विद्वानों ने गांधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में उपयोग किए गए नस्ली शब्दों और दृष्टिकोणों को उपेक्षापूर्ण या उपनिवेशवादी माना। गांधी के दक्षिण अफ्रिका कालीन लेखों में ब्लैक अफ्रीकन के लिए उपयोग किए गए शब्दों और उनके विचारों पर आज भी आलोचना होती है।
इस तरह, कुछ जगहों पर गांधी की छवि को उपराष्ट्रवादी लोकायक या एक आयामी महान व्यक्ति के रूप में देखा जाना आलोचनात्मक दृष्टिकोण से चुनौती दी जाती है। शिक्षा और नई पहल गुजरात विद्यापीठ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांधियन नॉन-वॉयलेंस कोर्स दोबारा शुरू करने की घोषणा की। विश्वभर के विद्यार्थी गांधी की विचारधारा को गहराई से समझ सकेंगे। कई सामाजिक आंदोलन आज भी उनके सिद्धांतों से प्रेरित होकर काम कर रहे हैं। 100 से अधिक देशों में उनकी मौजूदगी और अंतरराष्ट्रीय मान्यता यह साबित करती है कि महात्मा गांधी मानवता की साझा धरोहर हैं।