हरियाणा में शिक्षकों की कमी से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

चंडीगढ़। कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि हरियाणा के आठ जिलों अंबाला, फरीदाबाद, सिरसा, यमुनानगर, पलवल, भिवानी, जींद और हिसार में शिक्षकों की भारी कमी से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कई स्कूलों में एक-एक शिक्षक पर 400 से 500 तक बच्चों का बोझ है, जो शिक्षा की गुणवत्ता के साथ गंभीर समझौता है। उन्होंने कहा कि एक ओर भाजपा सरकार नई शिक्षा नीति का गुणगान कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों में शिक्षकों और संसाधनों की भारी कमी है।

सरकार क्या निजी शिक्षण संस्थानों को बढ़ावा देकर सरकारी स्कूलों को बंद करने की साजिश कर रही है, मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में 15,659 शिक्षकों के पद खाली हैं, जिनमें अंबाला और यमुनानगर की स्थिति सबसे अधिक गंभीर है। सिरसा जैसे जिलों में, जहां हजारों बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं, शिक्षकों की कमी उनके भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति केवल प्रशासनिक अनियमितता नहीं, बल्कि सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों और संवेदनहीनता का परिणाम है।

वर्षों से भर्ती प्रक्रिया अधूरी है, तबादलों की अव्यवस्था चरम पर है और तैनाती में राजनीतिक प्रभाव हावी है। सैलजा ने कहा कि कई सरकारी स्कूलों में ग्राम पंचायतें अपने स्तर पर 10 से 12 हजार रुपए में युवाओं को रखकर पढ़ाई करवा रही हैं, जो सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय है। कुमारी सैलजा ने प्रदेश की भाजपा सरकार से मांग की कि सरकार तुरंत खाली पड़े शिक्षकों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करे, शिक्षकों-बच्चों का अनुपात राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जाये और ग्रामीण विद्यालयों में स्थायी तैनाती की नीति लागू की जाये।

शिक्षकों के स्थानांतरण में पारदर्शिता और संतुलन सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र निगरानी तंत्र बनाया जाये। सैलजा ने कहा कि बच्चों का भविष्य और प्रदेश की शिक्षा प्रणाली दोनों ही सरकार की जवाबदेही से जुड़े विषय हैं। यदि शिक्षा की बुनियाद कमजोर रही तो प्रदेश का विकास अधूरा रहेगा।

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