भारत के पास 34,600 टन सोना, 3,785 अरब डॉलर का मूल्य

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। भारत के पास जून तक कुल मिलाकर 34,600 टन सोना था। इसका मूल्य वर्तमान भाव 4056 डॉलर प्रति औंस पर लगभग 3,785 अरब डॉलर है। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, यह सोना देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 88.8 प्रतिशत है। वर्तमान बाजार मूल्य पर यह भारतीय परिवारों के पास मौजूद इक्विटी स्टॉक होल्डिंग का लगभग 3.1 गुना है, जिसका मूल्य 1,185 अरब डॉलर है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत दुनिया में सोने के सबसे बड़े बाजारों में से एक है।

ऐसा इसलिए क्योंकि इस पीली धातु के प्रति सांस्कृतिक लगाव, निवेश की मांग और आर्थिक कारकों से प्रेरित है। मूल्य के भंडार, महंगाई से बचाव और एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में इसके महत्व ने इसे भारतीय परिवारों के लिए एक अमूल्य संपत्ति बना दिया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार, जून 2025 तक चार तिमाहियों के आधार पर भारत की वैश्विक सोने की मांग में लगभग 26 फीसदी हिस्सा था। 5 वर्षों का औसत 23 फीसदी था। लगभग 28 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।

भारत में सोने की मांग में आभूषणों की हिस्सेदारी दो-तिहाई है। छड़ों और सिक्कों यानी खुदरा निवेश साधनों का हिस्सा 5 वर्षों में 23.9 फीसदी से बढ़कर जून, 2025 तक 32 फीसदी हो गया है। 840 टन तक सालाना है सोने की खपत। वॉल्यूम के लिहाज से भारत की वार्षिक सोने की खपत 2021 से 750 और 840 टन के बीच सीमित रही। यह जून, 2011 को समाप्त तिमाही में 1,145 टन के उच्च स्तर से काफी कम है।

मॉर्गन स्टेनली के नोट में कहा गया है कि हालांकि, घरेलू सोने की कीमतों में तेज उछाल के कारण मूल्य के लिहाज से सोने की खपत जून, 2025 को समाप्त तिमाही में चार तिमाहियों के आधार पर 68 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। जून, 2023 को समाप्त तिमाही में यह 44 अरब डॉलर थी। घरेलू बचत में घटा जमा का हिस्सा। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, घरेलू वित्तीय बचत में जमा की हिस्सेदारी 2024-25 में 35 प्रतिशत तक कम हो गई। 2023-24 में 40 फीसदी और महामारी से पहले 46 फीसदी थी।

इक्विटी इसी दौरान 15.1 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। 2023-24 में 8.7 और महामारी से पहले लगभग 4 फीसदी थी।

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