जयपुर। दीपावली महापर्व सोमवार को श्रद्धा, उत्साह और वैभव से मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर भगवान श्री राम 14 वर्षों का वनवास काटकर और लंका पर विजय करने के बाद अयोध्या लौटे थे। जिसकी खुशी में सारे अयोध्यावासियों ने प्रभु राम के स्वागत में घी के दीप जलाकर उत्सव मनाया था। इसी कारण से तब से ही ये परंपरा चली आ रही है। दीपावली पर्व का कर्मकाल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर प्रदोष काल (शाम के समय) में बताया गया है।
दीपावली रात्रिकालीन पर्व है और स्थिर लग्न में प्रदोष व निशित काल के दौरान ही मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना की जाती है। ऐसे में 20 अक्टूबर की रात को ही दीपावली पूजन करना शास्त्रानुकूल माना गया है। घरों में बाजार से मिठाई लाई जाएगी और घरों में माता के पूजन के लिए प्रसाद बनाया जाएगा। दो दिन की तक दीपावली त्योंहार घरों को रोशनी से सजाया ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि धर्म सिंधु पंचांग के अनुसार दो प्रदोष व्यापिनी अमावस्या है, लेकिन निशित काल 20 अक्टूबर को ही मिलेगा।
21 अक्टूबर को अमावस्या पितरों को समर्पित रहेगी। दीपावली पर घरों को रोशनी से सजाया जाएगा। लोग शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती, कुबेर की पूजा करेंगे।


