वेनेजुएला में लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रही नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरिना मचाडो ने हाल ही में भारत की खुलकर प्रशंसा की है। मचाडो पिछले 20 सालों से अपने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और सत्ता परिवर्तन के लिए संघर्ष कर रही हैं। यह खबर तब सामने आई जब उन्होंने टाइम्स नाउ को एक गुप्त स्थान से इंटरव्यू दिया। मचाडो पिछले 15 महीनों से सुरक्षा कारणों से छिपकर रह रही हैं। उनका खुलकर सामने आना मीडिया में तेजी से वायरल हुआ है।
इंटरव्यू में मचाडो ने कहा कि भारत न केवल एक महान लोकतंत्र है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है। लोकतंत्र को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए, अन्यथा भविष्य में इसके बड़े और गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वे चाहती हैं कि भारत और वेनेजुएला के बीच सहयोग और मजबूत हो, खासकर जब उनका देश शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता परिवर्तन की ओर बढ़ेगा। मचाडो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वेनेजुएला आमंत्रित करने की इच्छा जाहिर की।
उनका मानना है कि भारत की लोकतांत्रिक ताकत और अनुभव वेनेजुएला के लोगों के अधिकारों की रक्षा में मदद कर सकता है। मचाडो ने यह भी बताया कि उनके कई मित्र भारत में रहते हैं और उनकी बेटी भी बचपन में भारत गई थी, जहां उसे देश की विविधता और संस्कृति बेहद पसंद आई। उन्होंने महात्मा गांधी के योगदान की भी सराहना की और कहा कि गांधी ने साबित किया कि अहिंसा कमजोरी नहीं है। शांतिपूर्ण तरीके से भी स्वतंत्रता हासिल की जा सकती है। यह वेनेजुएला के लोगों के लिए प्रेरणा का काम कर सकता है।
मचाडो ने अपने देश की वर्तमान स्थिति पर भी खुलकर बात की। उन्होंने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कहा कि उन्हें भारी बहुमत से जीत हासिल हुई थी, लेकिन निकोलस मादुरो की सरकार ने उन्हें चुनाव में भाग लेने से रोक दिया। मचाडो के अनुसार, उनका प्रतिद्वंदी उम्मीदवार 70% वोटों से जीत गया, लेकिन मादुरो ने सत्ता छोड़ने से इनकार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मादुरो सरकार ने हजारों निर्दोष लोगों को गुम कर दिया और महिलाओं तथा बच्चों के साथ अत्याचार किया। मचाडो ने इसे लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए खतरा बताया।
इंटरव्यू में उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लोकतंत्र की लड़ाई में प्रमुख सहयोगी के रूप में उल्लेख किया। मचाडो ने कहा कि ट्रंप प्रशासन और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ संयुक्त अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के चलते मादुरो सरकार पर दबाव बढ़ा है। वे आशावादी हैं कि जल्द ही मादुरो गैर-हिंसक तरीके से सत्ता परिवर्तन के लिए राजी होंगे। वेनेजुएला की यह लोकतंत्र सेनानी अपने संघर्ष के दौरान भी भारत की राजनीति और संस्कृति के करीब रही हैं।
उनका मानना है कि भारत की तरह मजबूत लोकतंत्र और शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रक्रियाएं किसी भी राष्ट्र के लिए मॉडल बन सकती हैं। मचाडो ने अपनी उम्मीदों और भविष्य की योजनाओं के बारे में खुलकर कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत की प्रतीक्षा कर रही हैं और उन्हें स्वतंत्र वेनेजुएला में आमंत्रित करना चाहती हैं।


