जवाई कमांड में जल का आगमन, किसानों की खुशियों का संचार

Kheem Singh Bhati

जवाई कमांड क्षेत्र के किसानों के लिए रविवार का दिन किसी त्यौहार से कम नहीं रहा। जल संसाधन विभाग द्वारा जवाई बांध से प्रथम पाण हेतु नहर खोले जाने की घोषणा के साथ ही क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। सुबह नहर खुलते ही किसानों के चेहरों पर मुस्कान और खेतों में उमंग की लहर छा गई। देर रात तक नहरों से पानी खेतों तक पहुँचने लगा। इस बार लाभ पंचमी का पर्व किसानों के लिए दोहरी खुशियाँ लेकर आया है — पहली, धार्मिक महत्व का यह पर्व और दूसरी, जवाई की पहली पाण का आगमन।

किसानों ने खेतों में दीप प्रज्वलित कर ‘अन्नदेवता’ के प्रति आभार जताया और समृद्धि की प्रार्थना की। जवाई परियोजना की 234 किलोमीटर लंबी नहर प्रणाली के माध्यम से इस बार भी जवाई कमांड क्षेत्र के खेतों तक जीवनदायिनी धारा बहेगी। इससे पाली जिले के 33 गाँवों की 25,825 हेक्टेयर भूमि और जालोर जिले के 24 गाँवों की 12,845 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। जालोर जिले में बागरा, आहोर, सियाणा, चांदना, रायपुरिया, सिवना, चितलवाना, और आस-पास के गाँवों के किसानों को इस बार की पाण से रबी फसलों की बुवाई समय पर करने का लाभ मिलेगा।

समय पर पानी पहुँचने से गेहूं, चना, सरसों और जीरा जैसी प्रमुख फसलें बेहतर विकसित होंगी। इससे न केवल उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि कृषि आय में 25 से 30 प्रतिशत तक का इज़ाफ़ा होने की उम्मीद है। जल संसाधन विभाग के अनुसार, यह पहला अवसर है जब जवाई बांध की नहर अक्टूबर माह में ही खोली गई है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। स्थानीय किसान संगठनों का कहना है कि पिछले चार वर्षों से जवाई से लगातार पानी मिलने से खेती की स्थिरता और उत्पादन क्षमता दोनों बढ़ी हैं।

किसानों ने कहा कि जवाई का पानी उनके लिए किसी ‘अमृत’ से कम नहीं, जो धरती को हरा-भरा कर जीवन में समृद्धि का संचार करता है। नहरों की सफाई कार्य अंतिम चरण में है, जिसके पूरा होते ही पानी टेल क्षेत्रों तक सुचारू रूप से पहुँचेगा।

हर किसान के दिल में आज एक ही भावना गूंज रही है —“जब जवाई बहे, तो खेतों में खुशहाली लहराए।” जालोर जिले के 24 गाँवों की 12,845 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी, समय पर रबी बुवाई से फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होगी, कृषि आय में बढ़ोतरी और रोजगार सृजन होगा, भूजल स्तर में सुधार होगा और सूखे की आशंका में कमी आएगी। स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी, क्योंकि फसलों की पैदावार बढ़ने से व्यापार में भी इज़ाफ़ा होगा।

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