आदिवासियों के शोषण से मुक्ति के नायकों के बारे में जानना जरूरी है

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि निजाम और अंग्रेज जैसे अत्याचारी शासकों ने गरीब, वंचित और आदिवासी लोगों को गहरे जख्म देते हुए उन पर असीमित अत्याचार किए थे। इसके विरुद्ध कोमारम भीम और बिरसा मुंडा जैसे साहसी युवाओं ने अद्वितीय शौर्य का परिचय देकर आदिवासियों को शोषण से मुक्ति दिलाने का काम किया। मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में कहा कि ऐसी असाधारण आदिवासी विभूतियों को याद करने के लिए अगले महीने 15 तारीख को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा।

यह भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती का सुअवसर है और इस मौके पर हमें अपने आदिवासी महापुरुषों के जीवन के बारे में पढ़कर उन्हें नमन करना चाहिए। मोदी ने कौतूहलपूर्ण अंदाज में कहा कि मैं आपको जरा फ्लैशबैक में लेकर चलूँगा। आप कल्पना करिए, 20वीं सदी का शुरुआती कालखंड। तब आजादी की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। पूरे भारत में अंग्रेजों ने शोषण की सारी सीमाएं लांघ दी थीं और उस दौर में हैदराबाद के देशभक्त लोगों के लिए दमन का दौर और भी भयावह था।

वे क्रूर और निर्दयी निजाम के अत्याचारों को भी झेलने को मजबूर थे। गरीबों, वंचितों और आदिवासी समुदायों पर अत्याचार की कोई सीमा नहीं थी। उनकी भूमि छीन ली जाती थी और उन पर भारी टैक्स लगाया जाता था। अगर वे इस अन्याय का विरोध करते, तो उनके हाथ तक काट दिए जाते थे। मोदी ने कहा कि ऐसे कठिन समय में करीब बीस साल का एक नौजवान इस अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ था। आज मैं, उस नौजवान की चर्चा कर रहा हूं। उसका नाम बताने से पहले मैं उसकी वीरता की बात करूंगा।

उस दौर में निजाम के खिलाफ एक शब्द बोलना भी गुनाह था। उस नौजवान ने सिद्दीकी नामक निजाम के एक अधिकारी को खुली चुनौती दे दी थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि 22 अक्टूबर को कोमारम भीम की जयंती मनाई गई है। कोमारम भीम ने अपने जीवन-काल में अनगिनत लोगों, विशेषकर आदिवासी समाज के हृदय में अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने निजाम के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों में नई ताकत भरी। कोमारम भीम अपने रणनीतिक कौशल के लिए भी जाने जाते थे। निजाम की सत्ता के लिए वे बहुत बड़ी चुनौती बन गए थे।

इसलिए 1940 में निजाम के लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी। मोदी ने कहा कि अगले महीने की 15 तारीख को हम जनजातीय गौरव दिवस मनाएंगे। यह भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का सुअवसर है। मैं भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। देश की आजादी के लिए, आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए, उन्होंने जो काम किया वो अतुलनीय है। मेरे लिए ये सौभाग्य की बात है कि मुझे झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा के गाँव उलिहातु जाने का अवसर मिला था। मैंने वहाँ की माटी को माथे पर लगाकर प्रणाम किया था।

भगवान बिरसा मुंडा जी और कोमारम भीम जी की तरह ही हमारे आदिवासी समुदायों में कई और विभूतियां हुई हैं। मेरा आग्रह है कि आप उनके बारे में अवश्य पढ़ें।

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