जयपुर। जयपुर के संतोकबा दुर्लभजी हॉस्पिटल में एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत के बाद इलाज की राशि जमा नहीं कराने के चलते लाश नहीं देने को लेकर रविवार को परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा कर दिया। बाद में कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा भी परिजनों की गुहार पर मौके पर पहुंचे।
जानकारी के अनुसार दुर्घटना में दौसा के महुआ में ही घायल हुए मृतक विक्रम केन्द्र और प्रदेश की निशुल्क आयुष्मान स्वास्थ्य योजना में बीमित था, पात्र होने के बावजूद उसे अपात्र बताया गया और अस्पताल ने 6.39 लाख रूपए पहले ही उनसे इलाज के लिए ले लिए थे। शेष राशि 1.89 देने को लेकर शव नहीं दिया था। मरीज के रिश्तेदार जगराम मीणा ने बताया कि विक्त्रम मीणा 13 अक्टूबर को दौसा के महुआ स्थित बालाजी मोड़ पर सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था। हम उसे लेकर दुर्लभजी हॉस्पिटल की इमरजेंसी में पहुंचे जहां पर उसे भर्ती करवाया।
लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन ने आयुष्मान और मां योजना में भर्ती करने से इंकार कर दिया। हॉस्पिटल प्रशासन ने कहा कि हम केवल कैश में इलाज करते हैं। करीब 13 दिन में हमारा बिल 8 लाख से ज्यादा का बना दिया गया। शनिवार को विक्त्रम की मौत की जानकारी मिली। हॉस्पिटल ने कहा डेडबॉडी तब मिलेगी जब आप बकाया राशि जमा करवा देंगे। हमने 6 लाख 39 हजार रुपए जमा करवा दिए थे। हॉस्पिटल बॉडी देने के लिए 1.89 लाख रुपए और मांग रहा था। किरोड़ी बोले, 24 घंटे तक शव नहीं दिया, शव के साथ खिलवाड़ हुआ।
परिवार की शिकायत पर सुबह 10.30 बजे कृषि मंत्री किरोड़ी अस्पताल पहुंचे। उन्होंने परिवार से बात करने के बाद हॉस्पिटल प्रशासन से बात की। इसके बाद शव सौंपा गया। किरोड़ी ने बताया कि हॉस्पिटल प्रशासन को बकाया पैसे नहीं देने पर शव को 24 घंटे तक नहीं दिया। यह शव के साथ खिलवाड़ है। कहा कि मैंने गांधीनगर थाना पुलिस को निर्देश दिया कि इस मामले में पीड़ित की शिकायत पर हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। प्रदेश के निजी हॉस्पिटलों में आमजन को सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल रहा है।
हॉस्पिटल सरकारी योजनाओं में रजिस्टर्ड होने के बावजूद मरीज को निशुल्क इलाज नहीं दे रहे। मैं स्वीकार करता हूं कि हमारी सरकार की कमजोरी मॉनिटरिंग है। इस मामले में मुख्य सचिव से बात की है। सीएम और चिकित्सा मंत्री से भी बात करूंगा। अस्पताल प्रशासन ये बोला दुर्लभजी हॉस्पिटल के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर जॉर्ज थॉमस ने बताया कि परिजन घायल को दूसरे अस्पताल से रैफर करवाकर यहां लाए थे। मरीज का जनाधार कार्ड एक्टिव नहीं था। उसे अस्पताल एक्टिव कर नहीं सकता था। परिजनों ने कैश में इलाज करवाने की सहमति दी थी।
हमने मरीज को बचाने के लिए अपना बेस्ट ट्रीटमेंट दिया लेकिन दुर्भाग्य से शनिवार दोपहर उनकी मौत हो गई। हमने परिजनों को 80 हजार रुपए का डिस्काउंट भी दिया था। परिजनों ने उसके बाद भी पैसा जमा नहीं कराया। अब हमने परिजनों को इलाज के लिए जमा कराई गई राशि लौटा दी है। अस्पताल प्रशासन ने मृतक की पत्नी के नाम तीन अलग अलग चेक के माध्यम से कुल 5 लाख 75 हजार रुपए लौटाए हैं।


