मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक सकारात्मक समाचार है। भावांतर योजना के अंतर्गत 24 अक्टूबर से सभी मंडियों में सोयाबीन की खरीद शुरू हो गई है, जो 15 जनवरी 2026 तक जारी रहेगी। अब तक 14,727 किसानों से 25,999 टन सोयाबीन खरीदी जा चुकी है। इस योजना में 9,36,352 किसानों ने पंजीकरण कराया है। सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 5,328 रुपये निर्धारित किया गया है। किसान पहले की तरह मंडियों में सोयाबीन बेचेंगे। इस योजना के तहत, सोयाबीन उत्पादक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार मूल्य के बीच का अंतर सरकार द्वारा दिया जाएगा।
फसल बिक्री के 15 दिन के भीतर अंतर की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी जाएगी। 27 अक्टूबर को 7,981 किसानों से 14,214 टन सोयाबीन की खरीद की गई। कृषि उपज मंडी उज्जैन में सबसे अधिक 529 टन, देवास में 512 टन, ताल में 486 टन, इंदौर में 455 टन, खातेगांव में 425 टन, बैरसिया में 396 टन, आगर में 376 टन, सागर में 368 टन, आष्टा में 339 टन और शाजापुर में 335 टन सोयाबीन की खरीद की गई।
वर्तमान में प्रदेश में सोयाबीन की बुवाई का रकबा 53.20 लाख हेक्टेयर है और इस वर्ष 55.54 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ है। सोयाबीन की पहली मॉडल भाव की घोषणा 7 नवंबर 2025 को की जाएगी। पंजीकरण के दौरान 3 से 17 अक्टूबर तक 9.36 लाख किसानों ने पंजीकरण कराया। प्रदेश के सात जिलों में 50,000 से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराया है। यदि सोयाबीन का मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होता है, तो किसानों के घाटे की भरपाई भावांतर योजना के तहत की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ.
मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसानों के हित में योजना को लागू किया जाए। ई-उपार्जन पोर्टल के माध्यम से किसानों के पंजीकृत बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से भुगतान किया जाएगा। कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना ने बताया कि कृषि विभाग ने केंद्र सरकार को 26,49,000 मीट्रिक टन का प्रस्ताव भेजा था, जिसे स्वीकृति मिली है।


