उत्तराखंड में पेंशनरों के लिए महंगाई राहत में वृद्धि की घोषणा

vikram singh Bhati

उत्तराखंड के पेंशनरों के लिए एक अच्छी खबर आई है। राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने कर्मचारियों के बाद अब पेंशनर्स के डीआर में 3 फीसदी की वृद्धि की है। अब पेंशनर्स को 55% के बजाय 58% महंगाई राहत का लाभ मिलेगा। नई दरें जुलाई 2025 से लागू होंगी, जिसके चलते 1 जुलाई से सितंबर 2025 तक के एरियर का भुगतान नकद किया जाएगा। वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। इस निर्णय से लगभग 40 हजार पेंशनभोगियों को लाभ होगा।

इस वृद्धि के कारण पेंशनरों की पेंशन में 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक का इजाफा होगा। यह लाभ राज्य सरकार के स्थायी पेंशनभोगियों के साथ-साथ विद्यालयी एवं प्राविधिक शिक्षा विभाग के अधीन राज्य निधि से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के पात्र शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों पर लागू होगा, जिन्हें शासनिक पेंशनरों के समान पेंशन की स्वीकृति प्राप्त है। यह निर्णय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों, स्थानीय निकायों तथा सार्वजनिक उपक्रमों के सिविल या पारिवारिक पेंशनरों पर स्वतः लागू नहीं होगा।

इन वर्गों के लिए संबंधित विभागों को अलग से आदेश जारी करने होंगे। स्वीकृत महंगाई राहत का भुगतान संबंधित कार्यालयों द्वारा ही किया जाएगा। दिवाली से पहले, राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने अपने कर्मचारियों के डीए में 3 फीसदी की वृद्धि की थी। राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (डीए) 55 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत कर दिया है। नई दरें जुलाई 2025 से लागू की गई हैं, जिसके चलते 1 जुलाई से सितंबर 2025 तक के एरियर का भुगतान नकद किया जाएगा।

बढ़े हुए डीए का लाभ नवंबर में अक्टूबर की सैलरी के साथ दिया जाएगा। इस फैसले से राज्य के लगभग 2.5 लाख से अधिक कर्मचारी और उनके परिवार लाभान्वित होंगे। महंगाई भत्ता एक भुगतान है जो केन्द्र और राज्य सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मुद्रास्फीति के प्रभाव को संतुलित करने के लिए देती हैं। यह वेतन का एक अतिरिक्त हिस्सा होता है, जिसे समय-समय पर महंगाई दर के आधार पर संशोधित किया जाता है। इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के अनुसार तय किया जाता है।

केंद्र सरकार द्वारा हर साल 2 बार केन्द्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की दरों में संशोधन किया जाता है, जो अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक इंडेक्स के छमाही आंकड़ों पर निर्भर करता है। यह वृद्धि हर साल जनवरी/जुलाई से की जाती है, जिसका ऐलान मार्च और अक्टूबर के आसपास होता है। केन्द्र सरकार के ऐलान के बाद राज्य सरकारों द्वारा घोषणा की जाती है।

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Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal