जयपुर। स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है, जो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह के रुकने या बाधित होने के कारण होती है। मस्तिष्क की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति में कमी के कारण कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती हैं या मर सकती हैं। स्ट्रोक एक आपातकालीन स्थिति है और समय पर इलाज न होने पर स्थाई विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकता है। दुर्लभजी अस्पताल में सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. डीपी शर्मा ने वर्ल्ड स्ट्रोक डे के अवसर पर यह जानकारी दी। स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: 1.
इस्केमिक स्ट्रोक: यह धमनी में रुकावट के कारण होता है। यह आम प्रकार है, जो कुल स्ट्रोक के लगभग 85 प्रतिशत मामलों में होता है। इसके लिए इलाज में रक्त के थक्के को हटाने के लिए दवाएं दी जाती हैं या थ्रोम्बोक्टॉमी प्रक्रिया की जाती है। 2. रक्तस्त्रावी स्ट्रोक: यह रक्त वाहिका के फटने से होता है, जिसमें मस्तिष्क में खून रिसने लगता है। यह आमतौर पर कम होता है, लेकिन अधिक घातक हो सकता है। इसके इलाज के लिए ऑपरेशन द्वारा बड़े थक्के को निकाला जाता है। 3.
ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक: एक अस्थाई रुकावट के कारण होता है और इसके लक्षण कुछ समय बाद ठीक हो सकते हैं। इसे गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह भविष्य में पूर्ण स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। रोकधाम के लिए स्वस्थ आहार का सेवन, सप्ताह में कम से कम 150 मिनट व्यायाम करना, शराब व धूम्रपान से बचना, वजन नियंत्रण, नियमित बीपी व डायबिटीज की दवाई लेना और जांच कराना आवश्यक है। आपातकालीन स्थिति में क्या करें: डॉ.
डीपी शर्मा ने बताया कि स्ट्रोक के लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी अस्पताल में जाएं या आपातकालीन नंबर जैसे भारत में 108 पर कॉल करें। समय पर इलाज मस्तिष्क में होने वाले नुकसान को कम कर सकता है। लक्षण पहचानने के लिए ‘फास्ट’ नियम का प्रयोग करें: एफ यानी फास्ट: जिसमें चेहरा एक तरफ लटकना, मुस्कुराने में असमर्थता। ए यानी आर्म्स: इसमें एक तरफ हाथ या पैर में कमजोरी, सुन्नता। एस यानी स्पीच: बोलने में कठिनाई और अस्पष्ट आवाज। टी यानी टाइम: समय बहुत महत्वपूर्ण है। यदि ये लक्षण दिखें, तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
अन्य लक्षण: अचानक तेज सिरदर्द, धुंधला या दोहरा दिखना, चलने में दिक्कत, असंतुलन, चक्कर आना, बेहोशी, दौरा आना।


