मध्य प्रदेश ने कृषि में नई ऊंचाइयां हासिल की हैं

vikram singh Bhati

मध्य प्रदेश (MP) ने एक बार फिर साबित किया है कि वह भारत की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। लगातार सात बार कृषि कर्मण अवॉर्ड जीतकर राज्य ने देशभर में अपनी अलग पहचान बनाई है। जहां एक ओर राज्य ने कोरोना महामारी जैसे कठिन समय में 128 लाख टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन कर पंजाब को पीछे छोड़ दिया, वहीं दूसरी ओर अब यह टमाटर और मटर उत्पादन में शीर्ष पर पहुंच चुका है।

प्रदेश सरकार अब केवल पारंपरिक फसलों तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए पशुपालन, दुग्ध उत्पादन और प्राकृतिक खेती को भी समान रूप से प्रोत्साहन दे रही है। कृषि नीति में यह बदलाव किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। टमाटर उत्पादन में देश में नंबर वन बना मध्य प्रदेश (MP) उद्यानिकी फसलों में मध्य प्रदेश का प्रदर्शन लगातार बेहतर होता जा रहा है। टमाटर की खेती में राज्य ने देशभर में पहला स्थान हासिल किया है।

वर्ष 2024-25 में राज्य में 1,27,740 हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की खेती की गई, जिससे 36 लाख 94 हजार 702 टन उत्पादन हुआ। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार टमाटर के बीज पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, मध्य प्रदेश के कई जिलों छिंदवाड़ा, शिवपुरी, उज्जैन, सागर और रीवा में मिट्टी और जलवायु टमाटर की खेती के लिए बेहद उपयुक्त है। इसके कारण यहां के टमाटर न केवल घरेलू बाजार में बल्कि निर्यात स्तर पर भी पहचान बना रहे हैं।

मटर उत्पादन में दूसरा स्थान टमाटर के बाद मटर उत्पादन में मध्य प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है। यह उपलब्धि किसानों के वैज्ञानिक तरीकों से खेती अपनाने और सरकार की योजनाओं के सही क्रियान्वयन का परिणाम है। इसके साथ ही, राज्य संतरे, धनिया, मसाले, औषधीय और सुगंधित पौधों के उत्पादन में भी अग्रणी है। उदाहरण के लिए, मालवा और निमाड़ क्षेत्र में मसालों की खेती तेजी से बढ़ रही है, जबकि छिंदवाड़ा और होशंगाबाद में औषधीय पौधों की खेती किसानों की आय का नया स्रोत बन चुकी है।

यह विविधता यह दिखाती है कि मध्य प्रदेश अब केवल खाद्यान्न उत्पादन का केंद्र नहीं, बल्कि मल्टी-क्रॉप और वैल्यू-एडेड एग्रीकल्चर की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की बड़ी पहल प्रदेश सरकार अब कृषि के साथ पशुपालन को भी जोड़ने पर जोर दे रही है। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दुग्ध उत्पादन में 20 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। गोशालाओं को चारा के लिए 40 रुपये प्रति पशु तक का अनुदान। प्रति लीटर दूध पर पांच रुपये प्रोत्साहन राशि। नस्ल सुधार कार्यक्रम और पशुओं की टैगिंग।

सहकारी समितियों और दूध संयंत्रों का आधुनिकीकरण। इस नीति का मकसद केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना भी है। कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि दुग्ध उद्योग को मजबूत करने से महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में दुग्ध व्यवसाय का संचालन प्रायः महिलाएं ही करती हैं। बासमती धान को ‘जीआई टैग’ दिलाने की जंग मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक और बड़ी लड़ाई बासमती धान को जीआई टैग (Geographical Indication Tag) दिलाने की है। यह टैग मिलने से प्रदेश के बासमती उत्पादकों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।

वर्तमान में व्यापारी मध्य प्रदेश से बासमती धान खरीदकर उसे सामान्य धान की तरह बेच देते हैं, जबकि बाद में वही चावल ‘बासमती’ के नाम पर मार्केट किया जाता है। इससे असली उत्पादक किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। सरकार अब कानूनी स्तर पर इस लड़ाई को आगे बढ़ा रही है ताकि मध्य प्रदेश के किसानों को उनके बासमती ब्रांड की असली पहचान मिल सके।

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Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal