दुष्कर्म पीड़िता को मुआवजा देने का हाईकोर्ट का आदेश

Tina Chouhan

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को पीड़ित प्रतिकर स्कीम, 2011 के तहत मुआवजा नहीं देने के पॉक्सो कोर्ट के निर्णय को गलत ठहराया है। अदालत ने कहा कि पॉक्सो कोर्ट ने आय का स्रोत न बताने के आधार पर पीड़िता के प्रार्थना पत्र को गलत तरीके से खारिज किया। इसके साथ ही, अदालत ने पॉक्सो कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता के नए प्रार्थना पत्र पर छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया।

अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो पॉक्सो कोर्ट के बजाय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में भी प्रार्थना पत्र पेश कर सकती हैं। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश दुष्कर्म पीड़िता की ओर से पेश याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र चौधरी ने बताया कि याचिकाकर्ता ने सितंबर, 2023 में सांगानेर थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था, जिसमें पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया।

ट्रायल के दौरान याचिकाकर्ता ने पॉक्सो कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर अंतरिम मुआवजा दिलाने की गुहार की, लेकिन सुनवाई पूरी होने तक प्रार्थना पत्र पर कोई निर्णय नहीं किया गया। याचिका में कहा गया कि पॉक्सो कोर्ट क्रम-3, महानगर प्रथम ने आरोपी को बीस साल की सजा सुनाई थी। इस दौरान याचिकाकर्ता ने एक अन्य प्रार्थना पत्र पेश कर उसे पीड़ित प्रतिकर स्कीम, 2011 के तहत मुआवजा दिलाने की गुहार की।

इस प्रार्थना पत्र को पॉक्सो कोर्ट ने इस तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया कि उसने अपनी स्कूल फीस आदि का भुगतान करने को लेकर अपनी आय के स्रोत की जानकारी नहीं दी। याचिका में पॉक्सो कोर्ट के गत 11 अगस्त के इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि नाबालिग पीड़िता के पास आय का स्रोत कैसे हो सकता है। वहीं मामले में कोर्ट को केवल यह देखना होता है कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ है या नहीं? ऐसे में याचिकाकर्ता पीड़िता को मुआवजा दिलाया जाए।

जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पॉक्सो कोर्ट की ओर से पीड़िता का प्रार्थना पत्र खारिज करने के आदेश को रद्द करते हुए छह सप्ताह में मुआवजे पर निर्णय करने का निर्देश दिया है।

Share This Article