पुलिस की ड्यूटी एक ऐसा काम है जिसमें 24 घंटे जनता की सेवा करनी होती है, लेकिन खुद के लिए एक पल भी नहीं मिलता। थकान, नींद की कमी और तनाव अब पुलिस जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन अब मध्य प्रदेश (MP) पुलिस ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करेगा, बल्कि उनके व्यवहार में भी बड़ा बदलाव ला सकता है। राज्य में अब पुलिस आरक्षक से लेकर डीएसपी तक सभी को हर दिन आधा घंटा ध्यान (Meditation) करने की आदत डाली जा रही है।
यह ध्यान सिर्फ आराम के लिए नहीं, बल्कि अनुशासन, धैर्य और सकारात्मक ऊर्जा के लिए है। पुलिस मुख्यालय ने इसके लिए हार्टफुलनेस संस्था के साथ एमओयू किया है, ताकि इस पहल को वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टिकोण से आगे बढ़ाया जा सके। तनावमुक्त जीवन के लिए ध्यान बनेगा दिनचर्या का हिस्सा। बिना साप्ताहिक अवकाश और लगातार ड्यूटी के कारण पुलिसकर्मियों पर मानसिक दबाव बढ़ता जा रहा था। यही कारण है कि मध्य प्रदेश पुलिस ने अब ध्यान को उनकी दिनचर्या में शामिल किया है। हर पुलिसकर्मी को सोने से पहले 30 मिनट ध्यान करना सिखाया जा रहा है।
इसकी शुरुआत प्रशिक्षण चरण से ही हो रही है ताकि ये आदत शुरुआत से उनके जीवन का हिस्सा बन जाए। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजा बाबू सिंह का कहना है कि भारत में यह पहली बार है जब किसी राज्य ने अपने पुलिस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ध्यान को अनिवार्य बनाया है। इससे पुलिसकर्मियों में न केवल अनुशासन बढ़ेगा बल्कि वे तनावमुक्त रहकर जनता से बेहतर व्यवहार कर सकेंगे। प्रशिक्षण केंद्रों में ध्यान के साथ रामचरितमानस और गीता पाठ भी इस पहल की शुरुआत हाल ही में करीब 4000 पुलिस आरक्षकों के प्रशिक्षण से हो चुकी है।
सभी प्रशिक्षु अब हर रात सोने से पहले ध्यान करते हैं। राज्य के पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में दिन के दौरान भी, समय मिलने पर ध्यान सत्र आयोजित किए जाते हैं। इतना ही नहीं, वहां श्रीरामचरितमानस और श्रीमद्भगवद्गीता के पाठ भी करवाए जा रहे हैं, ताकि आत्मिक और नैतिक मूल्यों का समावेश हो सके। पुलिसकर्मियों को ध्यान सिखाने के लिए “मास्टर ट्रेनर्स” भी तैयार किए जा रहे हैं। ये प्रशिक्षक आगे चलकर अन्य जवानों और अधिकारियों को ध्यान की तकनीक सिखाएंगे।
मास्टर ट्रेनर बनेंगे पुलिसकर्मी ध्यान प्रशिक्षण को लेकर पुलिस मुख्यालय ने हार्टफुलनेस संस्था के कान्हा शांति वनम (हैदराबाद) में मास्टर ट्रेनर तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है। पहली बैच में 350 पुलिसकर्मियों को और दूसरी बैच में 76 को प्रशिक्षित किया गया है। तीसरी बैच में रक्षित निरीक्षक, निरीक्षक और उपनिरीक्षक कुल 129 पुलिसकर्मी 21 से 23 नवंबर के बीच प्रशिक्षण लेंगे। इस प्रशिक्षण में उन्हें मानसिक संतुलन, धैर्य, भावनात्मक नियंत्रण और तनाव प्रबंधन जैसी तकनीकों की जानकारी दी जाती है।
प्रशिक्षण का उद्देश्य सिर्फ पुलिसकर्मियों का मन शांत करना नहीं, बल्कि उन्हें सहानुभूति और धैर्य से जनता से जुड़ने की प्रेरणा देना भी है। क्यों जरूरी था यह कदम? मध्य प्रदेश पुलिस बल में इस समय 1 लाख 600 पुलिसकर्मी कार्यरत हैं, जबकि स्वीकृत संख्या 1 लाख 25 हजार है। यानी बल की कमी के चलते अधिकांश पुलिसकर्मी साप्ताहिक अवकाश तक नहीं ले पाते। लगातार काम, नींद की कमी और मानसिक तनाव के कारण कई बार पुलिस और आमजन के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
हाल ही में भोपाल में एक युवक की मौत पुलिस पिटाई से होने का मामला चर्चा में रहा। ऐसे मामलों से न केवल पुलिस की छवि खराब होती है, बल्कि आमजन के मन में भी डर और अविश्वास बढ़ता है। यही कारण है कि मुख्यालय ने ध्यान को पुलिस जीवन का हिस्सा बनाकर तनाव प्रबंधन को प्राथमिकता दी है।


