भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हाल ही में वनडे और T20 सीरीज खेली गई थी। वनडे सीरीज को ऑस्ट्रेलिया ने 2-1 से जीत लिया, जबकि T20 सीरीज में भारतीय टीम ने 2-1 से विजय प्राप्त की। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी हमेशा चर्चा का विषय रहती है। जब भी ये दोनों टीमें आमने-सामने आती हैं, क्रिकेट फैंस की उत्सुकता बढ़ जाती है। इसका कारण न केवल दोनों देशों का मजबूत खेल है, बल्कि विवादों से भरा उनका इतिहास भी है। दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच कई बार वाद-विवाद की स्थिति बन जाती है।
2008 का मंकीगेट विवाद भी ऐसा ही एक किस्सा है, जो हरभजन सिंह और दिवगंत ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी एंड्रयू साइमंड्स के बीच हुआ था। यह क्रिकेट की सबसे बड़ी कंट्रोवर्सी में से एक माना जाता है। 2008 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी में टेस्ट मुकाबला खेला गया था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 122 रनों से जीत हासिल की। इस मैच की पहली पारी में भारत ने शानदार बल्लेबाजी की। यह मुकाबला भारतीय फैंस के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के रूप में भी याद किया जाता है।
इसी टेस्ट मैच ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट में तीखी प्रतिद्वंद्विता की शुरुआत की। मंकीगेट कांड ने सिडनी टेस्ट को विवादों में घेर लिया और यह घटना टेस्ट क्रिकेट इतिहास की सबसे विवादित घटनाओं में शामिल हो गई। यह विवाद नस्लीय टिप्पणी से संबंधित था। विवाद की शुरुआत भारत की पहली पारी के दौरान हुई थी, जब सचिन तेंदुलकर और हरभजन सिंह क्रीज पर बल्लेबाजी कर रहे थे। हरभजन ने तेज गेंदबाज ब्रेट ली की गेंद पर चौका लगाया और उनकी पीठ थपथपाई। इसी बीच एंड्रयू साइमंड्स ने हरभजन के इस व्यवहार पर प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि “हमें इसकी जरूरत नहीं है, यह अपने साथियों के साथ करो।” हरभजन ने भी जवाब दिया, जिससे मामला बढ़ गया और अंपायर मार्क बेंसन को बीच-बचाव करना पड़ा। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने अंपायर से शिकायत की कि हरभजन ने साइमंड्स पर नस्लीय टिप्पणी की है। आरोप था कि हरभजन ने साइमंड्स को बंदर कहा था। मैच के बाद आईसीसी ने हरभजन को आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी मानते हुए तीन टेस्ट मैचों के लिए प्रतिबंधित कर दिया।
हालांकि, बाद में आईसीसी के अपील आयुक्त जस्टिस जॉन हैनसन ने हरभजन को निर्दोष पाया और उन पर केवल 50% मैच फीस का जुर्माना लगाया गया।


