9 साल बाद भी मनोहर की गुमशुदगी का रहस्य बरकरार

Kheem Singh Bhati

पाली जिले का मनोहर राजपुरोहित लापता मामला, जो पिछले नौ वर्षों से रहस्य बना हुआ है, एक बार फिर चर्चा में आया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर पाली पुलिस अधीक्षक आदर्श सिंधू ने इस मामले की पुनः जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। टीम को मनोहर की तलाश करने और पूरे केस की दोबारा जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सबसे बड़ा सवाल अब भी यही है — मनोहर कहां है? नौ साल बीत जाने के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिला।

जांच एजेंसियों के सामने अब भी कई अनसुलझे सवाल खड़े हैं — क्या 25 लाख रुपए की फिरौती मांगने वाले छह खत केवल भ्रम फैलाने के लिए भेजे गए थे या किसी संगठित साजिश का हिस्सा थे? बदमाशों के पास मनोहर का स्कूल बैग कैसे पहुंचा? और आखिर वह 16 वर्षीय छात्र अचानक कहां गायब हो गया? 5 दिसंबर 2016 की सुबह 16 वर्षीय मनोहर राजपुरोहित, निवासी गांव नेतरा (सुमेरपुर), रोजाना की तरह कोचिंग जाने के लिए घर से निकला।

उसने नेतरा से बस पकड़ी और फालना पहुंचा, जहां वह एजुको कोचिंग क्लासेस में 12वीं कक्षा की तैयारी कर रहा था। मनोहर कोचिंग सेंटर गया, लेकिन वहां से लौटकर कभी घर नहीं पहुंचा। परिवार ने तलाश शुरू की, पर 12 दिन तक उसका कोई सुराग नहीं मिला। इसी दौरान मनोहर के घर और स्कूल में छह फिरौती के खत आए।

हर पत्र में लिखा था — “25 लाख रुपए दो, नहीं तो अंजाम भुगतना पड़ेगा।” पुलिस को मिला केवल बैग और एक फुटेज जांच में पुलिस को केवल एक CCTV फुटेज मिला, जिसमें मनोहर अकेला सड़क पर जाता हुआ दिखाई दिया। लेकिन इसके बाद वह कहीं नजर नहीं आया। कुछ दिनों बाद उसका स्कूल बैग घर के बाहर रखा मिला। बैग में किताबें और एक फिरौती का पत्र रखा हुआ था। मोबाइल फोन तब से बंद है और अब तक उसका कोई सुराग नहीं मिल सका।

मार्च 2021 में अखिल भारतीय राजपुरोहित समाज संघर्ष समिति ने इस केस की CBI जांच की मांग उठाई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को इस प्रकरण की जांच के लिए अनुशंसा भेजी थी। लेकिन CBI ने यह कहते हुए फाइल लौटा दी कि इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं है, इसलिए राज्य सरकार ही जांच करे। हाल ही में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और पूर्व जिलाध्यक्ष करणसिंह नेतरा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की।

प्रतिनिधिमंडल ने इस पुराने मामले की गहराई से जांच कराने और मनोहर की तलाश को पुनः शुरू करने की मांग रखी। मुख्यमंत्री ने गंभीरता दिखाते हुए तुरंत पाली एसपी को SIT गठन के निर्देश दिए। आदेश के बाद पाली पुलिस ने इस केस से जुड़े सभी पुराने दस्तावेज, खत, गवाहों के बयान और सबूतों को फिर से खंगालना शुरू कर दिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, SIT इस केस में नई तकनीकी जांच करेगी और उस समय के कॉल रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजेक्शन और पत्रों की लिखावट की फोरेंसिक जांच भी दोबारा कराएगी।

जांच दल उन सभी संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ करेगा जिनके नाम पहले सामने आए थे लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें क्लीनचिट दी गई थी। मनोहर राजपुरोहित की गुमशुदगी सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि पाली जिले का सबसे पेचीदा और भावनात्मक केस बन चुकी है। सालों से अंधेरे में डूबी इस कहानी में अब उम्मीद की एक नई किरण दिखी है। लोगों को उम्मीद है कि SIT की इस नई जांच से न केवल मनोहर का सुराग मिलेगा, बल्कि 9 साल पुराने इस रहस्य से भी आखिरकार पर्दा उठेगा।

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