कोटा का अपना घर आश्रम: बेघरों और मानसिक विक्षिप्तों के लिए आशा का केंद्र

Tina Chouhan

कोटा। केस- 1 28 अक्टूबर 2025 को महिला सुमित्रा (परिवर्तित नाम) को कैथून से एंबुलेंस द्वारा लाया गया। उसके बाद आश्रम में उसकी देखभाल करके उपचार किया गया। धीरे-धीरे उसकी याददाश्त लौटने पर उसने अपने परिजनों का पता बताया, जिसके बाद संबंधित थाने में सूचना देकर उसके परिजनों से संपर्क किया गया और 6 नवंबर 2025 को उसका पुनर्वास किया गया। केस-2 27 अक्टूबर 2025 को महिला अल्का (परिवर्तित नाम) को लाया गया, जहां उसकी देखभाल की गई। परिजनों का पता बताने पर संबंधित थाने में सूचना देकर महिला का पुनर्वास 31 अक्टूबर को किया गया।

केस- 3 10 फरवरी 2024 को पुरूष दिनेश कुमार (परिवर्तित नाम) को झालावाड़ से लाया गया, जो अपना नाम भी सही से नहीं बता पा रहे थे। उनका उपचार करने के बाद 25 नवंबर 2025 को उनका पुनर्वास किया गया। शहर के झालावाड़ रोड के पीछे स्थित अपना घर आश्रम, कोटा द्वारा शहर और हाड़ौती भर के विभिन्न स्थानों से लावारिस और मानसिक विक्षिप्त लोगों को रेस्क्यू कर आश्रम लाया जाता है।

कार्यालय प्रभारी अंजली शर्मा ने बताया कि जब भी हमें हाड़ौती के विभिन्न स्थानों से कॉल आती है, तो एंबुलेंस उस स्थान पर जाकर व्यक्ति को एंबुलेंस में बैठाकर थाने में सूचना देती है। उसके बाद उन्हें आश्रम कोटा लाया जाता है। आश्रम में 100 व्यक्तियों का खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाता है, और भामाशाह हमारी मदद करते हैं। वर्तमान में आश्रम में करीब 314 प्रभुजी रहते हैं, जिनमें 125 पुरुष और 189 महिलाएं शामिल हैं। आश्रम की भारत में करीब 64 शाखाएं हैं और एक शाखा नेपाल में स्थित है।

आश्रम द्वारा साल में एक बार ‘प्रभु मुक्त अभियान’ चलाया जाता है, जिसमें टीम एंबुलेंस के साथ पूरे संभाग में घूमती है और जो व्यक्ति लावारिस या मानसिक विक्षिप्त अवस्था में मिलता है, उसकी सूचना थाने में देकर उसे आश्रम लाया जाता है। इससे पहले आश्रम नांता स्थित नारी निकेतन में 2012 से 2016 तक संचालित होता था। बाद में शहर में इसकी स्थापना वर्ष 2017 में हुई। वर्तमान में यहां राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के प्रभुजी निवास कर रहे हैं।

प्रवेश से पहले संपूर्ण जांच के बाद मानसिक विक्षिप्त लोगों को अपना घर आश्रम कोटा में प्रवेश दिया जाता है, तब उनकी मेडिकल जांच की जाती है। यदि कोई व्यक्ति कैंसर से ग्रसित है तो उसे बीकानेर तथा टी.बी. से ग्रसित को भरतपुर शिफ्ट किया जाता है। अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को संबंधित आश्रम में भेजा जाता है। प्रवेश के बाद लावारिस और मानसिक विक्षिप्त लोगों को ‘प्रभुजी’ नाम दिया जाता है। महीने में दो बार इन्हें विशेष भोजन दिया जाता है। वर्षगांठ, जन्मदिन सहित विशेष अवसरों पर भी ‘प्रभुजी’ के लिए खास भोजन दिया जाता है।

जरूरत की सामग्री के लिए ‘प्रभुजी को चिट्ठी’ लिखी जाती है। आश्रम में प्रतिदिन जरूरत की सामग्री किसी से नहीं मांगी जाती। आश्रम में बने बोर्ड पर ‘प्रभुजी को चिट्ठी’ लिखी जाती है। कार्यालय प्रभारी अंजली शर्मा ने बताया कि हम आश्रम के लिए आवश्यक सामग्री बोर्ड पर लिख देते हैं। जिसकी भी इच्छा होती है, वह आश्रम आकर सामग्री दान में देकर चला जाता है। आज तक कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि बोर्ड पर लिखी सामग्री हमें प्राप्त न हुई हो।

आश्रम में लाने से पहले व्यक्ति जो मानसिक संतुलन खो देते हैं, वे कई बार आश्रम में कार्यरत स्टॉफ को चोटिल कर देते हैं। कई बार हमारे सामने भाषा की चुनौतियां रहती हैं, जिसके समाधान के लिए हम थर्मल में कार्यरत स्टॉफ, यूट्यूब और गूगल की मदद लेते हैं। कार्यालय प्रभारी ने बताया कि हमारे आश्रम में जब भी कोई कॉल करता है, उसके द्वारा बताई गई जगह पर हम एंबुलेंस से पहुंचाते हैं। उसके बाद थाने में सूचना देकर हम व्यक्ति को आश्रम में लेकर आते हैं।

फैक्ट फाइल वर्ष पुनर्वास किया 2022 109 2023 114 2024 149 2025 76

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