SBI ने mCash सेवा बंद करने का लिया बड़ा निर्णय

Jaswant singh

यदि आपका खाता स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) में है, तो आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। अगले महीने से एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, जिसकी जानकारी ग्राहकों को होनी चाहिए। देश के सबसे बड़े पब्लिक सेक्टर बैंक ने mCash सेवा बंद करने का ऐलान किया है। यह सुविधा अब ऑनलाइन एसबीआई और योनो लाइट पर उपलब्ध नहीं होगी। यह बदलाव 1 दिसंबर 2025 से लागू होगा। इससे संबंधित नोटिफिकेशन बैंक ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी की है।

एसबीआई ने अपने ग्राहकों को ट्रांजेक्शन के लिए एमकैश के स्थान पर यूपीआई, आइएमपीएस, एनईएफटी और आरटीजीएस का उपयोग करने की सलाह दी है। इन माध्यमों से खाताधारक थर्ड पार्टी लाभार्थियों को पैसे ट्रांसफर कर सकेंगे। mCash क्या है? एमकैश एक ऐसी सेवा है, जिसके जरिए ग्राहक ऑनलाइन एसबीआई या “स्टेट बैंक Anywhere” के माध्यम से भेजे गए फंड का दावा आसानी से और जल्दी कर सकते हैं।

खास बात यह है कि इस सेवा की मदद से ग्राहक लाभार्थी पंजीकरण के बिना लाभार्थी के मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी के जरिए किसी थर्ड पार्टी को फंड ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके अलावा लाभार्थी किसी भी बैंक अकाउंट के जरिए भी स्टेट बैंक एमकैश मोबाइल एप या ऑनलाइन एसबीआई पर उपलब्ध लिंक के माध्यम से फंड का दावा कर सकते हैं। जिसे पैसा भेजा गया है, उसे एसएमएस या ईमेल में एक लिंक या प्रेषक द्वारा चुने गए माध्यम के आधार पर 8 अंकों का पासकोड प्राप्त होता है।

उन्हें अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड, पासपोर्ट, मोबाइल नंबर या ईमेल पता दर्ज करना होता है। वेरिफिकेशन के बाद रियल टाइम फंड खाते में ट्रांसफर किया जाता है। ग्राहकों को “क्लेम” और “फेवरेट” के दो विकल्प भी मिलते हैं। दिसंबर में लागू होगा नया एटीएम शुल्क 1 दिसंबर से एटीएम ट्रांजेक्शन सर्विस चार्ज में भी बदलाव होने जा रहा है। निर्धारित सीमा से अधिक मंथली ट्रांजेक्शन होने पर 2 रुपये अधिक चार्ज का भुगतान करना होगा। वहीं नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के लिए 1 रुपये अधिक शुल्क लगेगा।

सैलरी पैकेज सेविंग अकाउंट होल्डर को अब हर महीने अनलिमिटेड फ्री ट्रांजैक्शन की सुविधा नहीं मिलेगी। अब सभी केंद्रों पर केवल 10 ही फ्री मंथली ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। लिमिट से अधिक ट्रांजेक्शन होने पर 23 रुपये+ जीएसटी शुल्क का भुगतान करना होगा। गैर-वित्तीय लेनदेन के लिए यह शुल्क 11 रुपये+जीएसटी होगा।

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Jaswant singh Harsani is news editor of a niharika times news platform