पशु पालकों के लिए आवास योजना में समस्याएं और पुनर्वास की प्रक्रिया

Tina Chouhan

कोटा। बंधा धर्मपुरा स्थित देव नारायण पशु पालक आवासीय योजना में आवंटित मकान खाली पड़े हैं, जबकि कई पशु पालक अभी भी शहर में डेरा डाले हुए हैं। केडीए अधिकारी इन सभी पशु पालकों को आवासों में पुनर्वास करवाने की योजना बना रहे हैं। नगर विकास न्यास ने पशु पालकों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए बंधा धर्मपुरा में देव नारायण योजना का निर्माण किया था, जिसमें लगभग 300 करोड़ रुपए की लागत आई। इस योजना में आवासों के साथ-साथ पशुओं के लिए बाड़े, पशु आहार के गोदाम, बच्चों के लिए स्कूल और चिकित्सा केन्द्र भी बनाए गए।

पहले चरण में 12 सौ से अधिक आवासों की योजना थी, जिनमें से लगभग 738 का निर्माण किया गया और 474 को आवंटन पत्र जारी किए गए। लेकिन इनमें से केवल आधे ही पशु पालक वहां शिफ्ट हो पाए। कई पशु पालक जो योजना में चले गए थे, वे कुछ समय बाद वापस शहर में विभिन्न स्थानों पर बाड़े बनाकर रहने लगे। इस योजना के तहत 15 हजार पशुओं के लिए आवासों का निर्माण किया गया और गोबर गैस प्लांट की स्थापना की गई। साथ ही दूध के उपयोग के लिए डेरी का निर्माण भी किया गया।

शहर में पशुओं के कारण होने वाले हादसों को देखते हुए कैटल फ्री शहर की कल्पना के तहत यह योजना बनाई गई थी। योजना के तहत पशु पालकों और पशुओं का सर्वेक्षण किया गया था। देव नारायण एकीकृत योजना के दूसरे चरण में लगभग 35 सौ भूखंड हैं, जिनका लॉटरी से आवंटन किया जा चुका है। हाल ही में केडीए सचिव और संबंधित अधिकारियों ने योजना का निरीक्षण किया और अधिकारियों ने खाली आवासों के कब्जे देने तथा पशु पालकों का शहर से पुनर्वास करवाने के निर्देश दिए।

केडीए के अधिशाषी अभियंता पवन शर्मा ने बताया कि आवासों का आवंटन हो चुका है और कुछ पशु पालक वहां रहने लगे हैं। हालांकि, कुछ आवंटियों को अभी कब्जा पत्र नहीं मिले हैं। जैसे ही सभी सुविधाएं चालू होंगी, उन्हें आवासों में शिफ्ट कर दिया जाएगा। यदि कोई पशु पालक कब्जा मिलने के बाद भी शहर में रहता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पशु पालकों का कहना है कि योजना अच्छी है, लेकिन शहर से दूर होने और सुविधाओं के अभाव के कारण उन्हें वापस शहर में आना पड़ा।

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