प्रिंसिपल और अधीक्षकों ने निजी प्रैक्टिस पर रोक के खिलाफ सामूहिक इस्तीफा दिया

Tina Chouhan

जयपुर। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और हॉस्पिटलों के अधीक्षकों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने के आदेशों का विरोध बढ़ गया है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मृणाल जोशी सहित 12 हॉस्पिटल के अधीक्षकों ने प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी को सामूहिक इस्तीफा सौंपा। इसके बाद सभी अधीक्षक राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर से मिलने पहुंचे। मंत्री ने मंगलवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज में उच्च स्तरीय बैठक कर मामले पर चर्चा करने का निर्णय लिया है।

राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. धीरज जैफ ने कहा कि प्रिंसिपल और हॉस्पिटलों के अधीक्षकों की निजी प्रैक्टिस पर रोक और हॉस्पिटलों में उनकी वकिंर्ग को 25 फीसदी तक सीमित करना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि 57 साल की उम्र तक के डॉक्टर ही अधीक्षक और प्रिंसिपल के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि कोई डॉक्टर 58 या 59 साल का है और सीनियर है, तो वह इस पद के लिए आवेदन नहीं कर सकेगा। इस्तीफा देने वालों में एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मृणाल जोशी, जेके लोन हॉस्पिटल के डॉ.

आरएन सेहरा, सांगानेरी गेट महिला चिकित्सालय की डॉ. आशा वर्मा, सैटेलाइट हॉस्पिटल से डॉ. गोर्वधन मीणा, गणगौरी हॉस्पिटल के डॉ. लिनेश्वर हर्षवर्धन, स्टेट कैंसर हॉस्पिटल के डॉ. संदीप जसूजा, जनाना अस्पताल की डॉ. नूपुर डोरिया, मनोचिकित्सा केन्द्र के अधीक्षक डॉ. ललित बत्रा, कांवटिया के डॉ. आरएस तंवर, बनीपार्क सेटेलाइट के डॉ. पीडी मीणा, सुपर स्पेशियलिटी के डॉ. विनय मल्होत्रा और श्वसन रोग संस्थान के डॉ. चांद भंडारी शामिल हैं।

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