धनशोधन मामले में अल-फलाह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति 13 दिन की हिरासत में

Sabal SIngh Bhati
By Sabal SIngh Bhati - Editor

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने अल-फलाह विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के अध्यक्ष एवं कुलाधिपति जावद अहमद सिद्दीकी को कथित धोखाधड़ी वाले मान्यता दावों से जुड़े धनशोधन मामले में 13 दिनों की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया है। यह आदेश मंगलवार देर रात साकेत जिला न्यायालय में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने पारित किया। ईडी ने 14 दिन की हिरासत की मांग करते हुए तर्क दिया था कि सिद्दीकी उस योजना के केंद्र में था, जिसमें अल-फलाह विश्वविद्यालय और उसके संबद्ध संस्थानों ने कथित रूप से लगभग 415.10 करोड़ रुपए की अपराध आय अर्जित की थी।

एजेंसी के अनुसार, यह राशि एनएएसी मान्यता और यूजीसी मान्यता के झूठे दावों के आधार पर छात्रों से एकत्रित की गई फीस है। ईडी ने तर्क दिया कि इन भ्रामक प्रथाओं का उपयोग छात्रों एवं अभिभावकों को बेईमानी से फीस का भुगतान करने हेतु प्रेरित करने के लिए किया गया, जिससे अत्यधिक अपराध आय अर्जित हुई।

2014-15 से 2024-25 तक आयकर रिटर्न के वित्तीय विश्लेषण से पता चला कि शैक्षणिक राजस्व में भारी वृद्धि हुई है, जिन वर्षों में संस्थान को मान्यता प्राप्त नहीं हुए थे उन वर्षों के दौरान कुल 415.10 करोड़ रुपये को शैक्षणिक राजस्व घोषित किया गया था। ईडी ने रिमांड अर्जी में आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय का संचालन करने वाले अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के नियंत्रक सिद्दीकी इस योजना में अहम भूमिका निभा रहे थे।

एजेंसी ने मुख्य वित्तीय अधिकारी सहित अधिकारियों के बयानों का हवाला दिया जिनमें कहा गया था कि सभी बड़े वित्तीय फैसलों को सिद्दीकी ने ही मंजूरी प्रदान की थी। ईडी की याचिका का विरोध करते हुए, सिद्दीकी के वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है। बचाव पक्ष ने दलील दी कि धनशोधन मामले का आधार बनने वाली दोनों प्राथमिकी झूठी और मनगढ़ंत थीं। उन्होंने कहा कि सिद्दीकी जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं और 14 दिन की हिरासत अनावश्यक है।

उन्होंने सुझाव दिया कि अगर हिरासत में लेना तो इसे सात दिनों तक सीमित करना चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने और मामले के रिकॉर्ड की जांच करने के बाद, अदालत ने माना कि पीएमएलए के अंतर्गत गिरफ्तारी के लिए अनिवार्य कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। न्यायाधीश ने अपराध की गंभीरता और जांच के प्रारंभिक चरण को देखते हुए ईडी की हिरासत में पूछताछ के अनुरोध को उचित माना।

हालांकि, ईडी के 14 दिनों का अनुरोध किया था लेकिन अदालत ने 13 दिनों की ईडी हिरासत को मंजूरी प्रदान की और निर्देश दिया कि सिद्दीकी को एक दिसंबर को अदालत में पेश किया जाए। सारी कारर्वाई तड़के ही पूरी हो गई, जिससे अधिकारियों द्वारा इस मामले में दिखाई गई तत्परता और महत्व का पता चलता है। अब जांच पूरी तरह से धन के लेन-देन का पता लगाने और सैकड़ों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी वाली शैक्षिक गतिविधियों के पीछे की कथित साजिश को उजागर करने पर केंद्रित होगी, जिसे ईडी फर्जी शैक्षिक गतिविधियां बता रहा है।

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