पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के विशेष गहन संशोधन (SIR) को लेकर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच तनाव बढ़ गया है। तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि अगर बीजेपी नेता इलाके में प्रचार के लिए आएं और जन्म प्रमाणपत्र मांगें, तो उन्हें घेरकर उनके पिता और दादा का प्रमाणपत्र दिखाने को कहें। अभिषेक बनर्जी ने कहा, “बीजेपी नेताओं को पेड़ या खंभे से बांधकर रखें, लेकिन हाथ न उठाएं। मैं शांति में विश्वास करता हूं।
पहले वे अमित शाह और उनकी सरकार द्वारा मांगे जा रहे प्रमाणपत्र दिखाएं, फिर उन्हें छोड़ें।” उन्होंने यह बयान कोलकाता में एक सभा को संबोधित करते हुए दिया। NRC का ही बताया हिस्सा तृणमूल कांग्रेस ने एसआईआर को एनआरसी का हिस्सा बताते हुए इसका विरोध किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बुजुर्गों के लिए जन्म प्रमाणपत्र देना मुश्किल है, क्योंकि कई का जन्म घर पर हुआ था।
अभिषेक बनर्जी ने एक 57 वर्षीय व्यक्ति प्रदीप कर की आत्महत्या को एसआईआर से जोड़ा और अमित शाह व मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य नहीं चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य नहीं है; आधार सहित 12 दस्तावेजों में से कोई एक पर्याप्त है। फिर भी बंगाल में दोनों पार्टियों के बीच यह मुद्दा चुनावी जंग का बड़ा हथियार बन गया है।


