उदयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने लेखा शिक्षा और अनुसंधान को एक-दूसरे के पूरक बताते हुए कहा कि अनुसंधान के माध्यम से प्राप्त नवीन तथ्यों और ज्ञान को शिक्षा में समाहित करने से शैक्षिक गुणवत्ता में वृद्धि होती है। बागडे भारतीय लेखांकन परिषद उदयपुर शाखा एवं राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 2 दिवसीय ऑल इंडिया अकाउंटिंग कॉन्फ्रेंस एंड इंटरनेशनल सेमिनार के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थान केवल ज्ञान के केंद्र नहीं, बल्कि वे ऐसे संस्कार मंदिर हैं, जहां भावी पीढ़ी में कर्तव्यनिष्ठा, पारदर्शिता और मानवीय मूल्यों का बीजारोपण किया जाता है। उन्होंने कहा कि समय की ऑडिट करना भी आवश्यक है। समय का सर्वोत्तम उपयोग ही जीवन की सफलता का आधार बनता है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपने शब्दों और वाणी को अपनी सबसे बड़ी संपत्ति समझें, क्योंकि उनका प्रभाव गहरा और दीर्घकालिक होता है।
उन्होंने प्राचीन भारतीय चिंतन परंपरा का उल्लेख करते हुए कौटिल्य के अर्थशास्त्र को रेखांकित किया और कहा कि राजकीय कोष एवं व्यय प्रणाली में पारदर्शिता, राष्ट्रहित और नैतिक मूल्यों को आधार बनाकर लेखा कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विचारों की परिपक्वता और सत्य के प्रति साहस ये तीनों गुण मिलकर एक सशक्त व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। बागडे ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे लेखांकन और वाणिज्य शिक्षा में पारदर्शिता तथा नवाचार को अपनाएं, और अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से लेखांकन के नए आयामों को राष्ट्र निर्माण से जोड़े।