भीनमाल से रोज सैकड़ों बसें देशभर को रवाना होती हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम नहीं है। हाल ही में जैसलमेर से जोधपुर जा रही बस में लगी आग ने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया, फिर भी भीनमाल में प्रशासन की नींद नहीं टूटी है। यहां से हर दिन कई बड़े शहरों के लिए बसें चलती हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर बसों में न तो आपातकालीन निकास द्वार हैं और न ही अग्निशमन उपकरण। इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों की जान सीधे खतरे में है।
कई बसों में खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल लगी होती है, सीटों के बीच निकलने की जगह नहीं होती और एक भी इमरजेंसी गेट मौजूद नहीं होता। अगर कहीं आग लग जाए या बस पलट जाए, तो यात्री बाहर निकल भी नहीं सकते। इसके बावजूद बसें धड़ल्ले से चल रही हैं और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। भीनमाल से राजस्थान के बाहर काम करने वाले प्रवासी मजदूर, व्यापारी, छात्र और आम यात्री इन बसों पर निर्भर हैं। ये लोग मुंबई, वापी, सूरत, अहमदाबाद, जयपुर और बेंगलुरु जैसे शहरों में काम या पढ़ाई के लिए जाते हैं।
लेकिन उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं है। परिवहन विभाग द्वारा समय-समय पर जांच की बात तो होती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। बसों की फिटनेस, परमिट, सुरक्षा उपकरण, अग्निशमन व्यवस्था और आपातकालीन निकास जैसे जरूरी बिंदुओं पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई देती। हाल ही में जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक बस में आग लगने से कई यात्री बुरी तरह झुलस गए थे। घटना के बाद राज्यभर में अलर्ट जारी हुआ, कई जगहों पर जांच अभियान भी शुरू हुए, लेकिन भीनमाल में अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई।
सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?