कसार। कोटा झालावाड़ नेशनल हाईवे 52 के पास स्थित नाहर सिंही माता का विशाल मंदिर, जिसे आलनिया माताजी के नाम से जाना जाता है, श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि नि:संतान दंपतियों को संतान सहजता से प्राप्त हो जाती है। मंदिर में कालका माता और नाहर सिंही माता की प्राचीन प्रतिमाएं लगभग 500 साल पुरानी हैं। ग्रामीणों के अनुसार, इन्हें बूंदी जिले के मेनाल से दो साधु लेकर आए थे और जंगल में एक पेड़ के नीचे स्थापित किया। धीरे-धीरे आसपास का क्षेत्र बसा और श्रद्धालु दर्शन के लिए आने लगे।
आलनिया माता मंदिर पर माता के दर्शन से मानव के दुख दूर हो जाते हैं। नवरात्रि के दौरान दूर-दूर से श्रद्धालुओं का ताता लगता है। रविवार और सोमवार को भी भक्तों की संख्या काफी होती है। मंदिर समिति ने बताया कि यदि सर्विस रोड के पास विशाल सिंहद्वार बनाया जाए तो हाईवे से गुजरने वाले यात्रियों की नजरें मंदिर पर पड़ेगी और दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ेगी। परिसर में विशाल भोजनशाला, 10 कमरे, दो वाटर कूलर और राहगीरों के लिए पेयजल टंकी व शौचालय बनाए गए हैं। यात्रियों को रात में रुकने और विश्राम करने की सुविधा उपलब्ध है।
नौ दिनों तक माता का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है और दुर्गा शतचंडी पाठ व पालकी नगर भ्रमण आयोजित होता है। मंदिर पुजारी रामनिवास सुमन ने बताया कि उनकी चार पीढ़ियां वर्षों से माता की पूजा अर्चना करती आ रही हैं।