आधुनिक भारत में मुस्कुराएगा निर्धन परिवार का बच्चा : आनंद कुमार

Sabal Singh Bhati
5 Min Read

पटना, 29 जनवरी ()। चर्चित शिक्षण संस्थान सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार पद्मश्री पाने वालों की सूची में खुद का नाम पाकर खुश जरूर हैं, लेकिन यह उनके सफर का अंतिम पड़ाव नहीं है। आनंद कहते हैं कि अभी और लम्बा सफर तय करना है। अभी हम सभी निर्धन परिवार से आने वाले मेधावी बच्चों के चेहरे पर मुस्कान नहीं देख पा रहे हैं।

पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा के बाद ने उनसे खास बातचीत की। बातचीत के दौरान उन्होंने अपने भविष्य की योजनाओं पर खुलकर चर्चा की तो पुराने संघर्षों को यादकर भावुक भी हुए।

पद्मश्री की घोषणा के बाद आनंद प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि देश विदेश में कई पुरस्कार पाए लेकिन देश के पद्म श्री पुरस्कार की अपनी अहमियत है। पद्म श्री को खास बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं इस सम्मान के योग्य पाने के लिए सभी का शुक्रगुजार हूं।

आनंद के लिए इतना सब कुछ पाना आसान नहीं था। उन्होंने जीवनभर संघर्ष किया। वे कहते भी है कि संघर्ष के बाद आई कामयाबी काफी सुखद और खुशी प्रदान करती है।

पटना में रहने वाले आनंद कुमार का जीवन संघर्षों के साथ आगे बढ़ा। उनके पिता पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे और प्राइवेट स्कूल के लिए अपने बच्चों की फीस जुटाने में असमर्थ थे, इसलिए आनंद की पढ़ाई हिंदी मीडियम के सरकारी स्कूल में हुई। पटना हाईस्कूल से इन्होंने पढ़ाई की। आगे बीएन कॉलेज में पढ़े।

निर्धनता के कारण जब वे उच्च शिक्षा के लिए चयन होने के बावजूद विदेश नहीं जा पाए तब इन्होंने निर्धन बच्चों को सुपर 30 के जरिए मुफ्त में आईआईटी परीक्षा की तैयारी कराने की ठानी और उसमें इनका पूरा परिवार लग गया।

सुपर 30 में वे गरीब परिवारों के सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट दिमाग वाले टॉप 30 छात्रों का चयन करते हैं जो तैयारी के लिए कोचिंग की फीस नहीं दे सकते और उन्हें एक साल के लिए स्टडी मटेरियल के साथ मुफ्त भोजन और आवास देते थे। उनके सैकड़ों छात्रों ने अपने पहले प्रयास में ही परीक्षा को क्लियर करके इतिहास रचा।

वे भावुक होते हुए बताते हैं कि पिता के निधन के बाद घर की स्थिति चरमरा गई। उनकी मां घर में पापड़ बनाती थी और मैं साइकिल से पटना की गलियों में घूम घूमकर पापड़ बेचता था, लेकिन बच्चो को पढ़ाना नहीं छोड़ा।

उन्होंने कहा कि पुरस्कार के लिए मेरे नाम की घोषणा हुई है, लेकिन जिस तरह देश विदेश से मेरे छात्रों ने खुशी व्यक्त कर मुझे बधाई दी उससे लगता है यह उन सभी छात्रों का पुरस्कार है। उन बच्चों को लगा कि यह पुरस्कार उन्हें मिला है।

आनंद ने भविष्य की योजनाओं के विषय में खुलासा करते हुए कहा कि भविष्य में उनकी योजना सुपर 30 के आकार को बड़ा करने की है। उन्होंने कहा कि हमलोग चाहते हैं कि सुपर 30 में नंबर ऑफ स्टूडेंट बढ़ाए जाएं। उन्होंने कहा कि हमारी योजना ऑनलाइन के जरिए बच्चों तक अपनी बात, अपना शिक्षण देने की है।

को उन्होंने बताया कि देश और विदेश के कई क्षेत्र के बच्चे ऐसे हैं जो सुपर 30 से जुड़ना चाहते हैं लेकिन जुड़ नहीं पाते, ऐसे बच्चो को भी हम छोड़ना नहीं चाहते।

चर्चित अभिनेता ऋतिक रोशन की फिल्म सुपर 30 के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संघर्ष के बाद जब सफलता आती है तो ज्यादा खुशी का एहसास होता है।

आनंद यह भी कहते हैं अभी और भी कई योजनाएं हैं जिस पर कार्य किया जा रहा है। आईआईटी परीक्षा की तैयारी करने में जुटे बच्चों को उन्होंने कहा कि समर्पण भाव से मेहनत करते रहें, सफलता जरूर मिलेगी और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट होगी।

देश विदेश की तमाम बड़ी खबरों के लिए निहारिका टाइम्स को फॉलो करें। हमें फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। ताजा खबरों के लिए हमेशा निहारिका टाइम्स पर जाएं।

Share This Article
Sabal Singh Bhati is CEO and chief editor of Niharika Times