जयपुर। अंता विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने नया चेहरा पेश करते हुए मोरपाल सुमन पर दांव लगाया है। पार्टी ने सुमन को टिकट देकर गुटबाजी से बचने की रणनीति अपनाई है और ओबीसी वोट बैंक में पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है। मोरपाल सुमन बारां पंचायत समिति के सदस्य हैं और क्षेत्र में सक्रिय माने जाते हैं। टिकट के लिए पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी, प्रखर कौशल, नंदलाल सुमन, नरेंद्र नागर, आनंद गर्ग, भूपेंद्र सैनी और अशोक सैनी जैसे कई दिग्गज नेताओं के नाम दौड़ में थे, लेकिन किसी को भी टिकट नहीं दिया गया।
माना जा रहा है कि यदि पुराने चेहरों को मौका मिलता तो गुटबाजी बढ़ सकती थी। कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतारा है, जबकि निर्दलीय नरेश मीणा भी चुनावी जंग में हैं। भाजपा ने मीणा समाज के भीतर संभावित क्रॉस वोटिंग से बचने और माली समाज के लगभग 40 हजार वोटों को साधने के लिए यह निर्णय लिया है। क्षेत्र में करीब 20 हजार मीणा वोटर हैं, ऐसे में मुकाबला अब त्रिकोणीय और बेहद रोचक माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अंता सीट पर मुकाबला कांटे का रहेगा और जीत का अंतर बेहद मामूली हो सकता है। यह उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है, क्योंकि पार्टी इस जीत के सहारे प्रदेश में अपनी साख और मजबूत करना चाहती है। टिकट के नाम पर मोरपाल सुमन को बीते दिनों साइबर ठगों ने 37000 का चूना भी लगाया था। 3 दिन पहले मोरपाल सुमन के पास साइबर ठगों का फोन आया था कि उन्हें विधानसभा उपचुनाव में भाजपा का प्रत्याशी बना दिया गया है।
ठग ने उन्हें बताया था कि वह दिल्ली में भाजपा मुख्यालय से बोल रहे हैं, और उनके चुनाव के डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए 37000 जमा करें। मोरपाल ने उत्साहित होकर राशि साइबर ठग के खाते में डाल दी थी। बाद में मामला पुलिस तक पहुंचा था।