सर्दियों में अपराजिता की देखभाल कैसे करें और क्या न करें

नई दिल्ली: अपराजिता, जिसे कृष्ण कमल या शंखपुष्पी के नाम से भी जाना जाता है, न केवल अपनी सुंदरता बल्कि धार्मिक और औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण इस फूल को स्वर्ग से धरती पर लाए थे। गर्मियों में खिलने वाला यह पौधा सर्दियों में खास देखभाल मांगता है, ताकि यह अगले मौसम में फिर से खिल सके। जैसे ही नवंबर में ठंड बढ़ती है, अपराजिता का पौधा अपनी ऊर्जा बचाने के लिए आराम की अवस्था (डॉर्मेंसी) में चला जाता है।

इस दौरान इसके पत्ते पीले पड़ सकते हैं और फूल आने बंद हो जाते हैं। दिसंबर और जनवरी की कड़ाके की ठंड में इसे बचाना जरूरी है। बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ आसान तरीकों से इसे बचाया जा सकता है। नवंबर में डालें सिर्फ एक खाद सर्दियों में पौधा बहुत कम ऊर्जा खर्च करता है, इसलिए बार-बार खाद देना नुकसानदायक हो सकता है। नवंबर के अंत में एक बार पोषण देने से यह पूरी सर्दी के लिए मजबूत हो जाता है। इसके लिए आधा लीटर पानी में एक मुट्ठी वर्मीकंपोस्ट (केंचुआ खाद) और एक चम्मच नीम की खली मिलाएं।

इस घोल को दो दिनों के लिए छाया में ढककर रख दें। इसके बाद, घोल में दोगुना सादा पानी मिलाकर पौधे की मिट्टी में डालें। ध्यान रहे, दिसंबर और जनवरी में पौधे को कोई खाद न दें। धूप और सही जगह है जरूरी अपराजिता गर्म मौसम का पौधा है, इसलिए इसे ठंड से बचाने का सबसे अच्छा तरीका गर्माहट देना है। सर्दियों में पौधे को ऐसी जगह पर रखें जहां उसे दिन भर की सीधी धूप मिल सके। ठंडी हवाओं से इसका बचाव करना बेहद जरूरी है, ताकि यह अपनी ऊर्जा बनाए रख सके।

पानी और कटाई-छंटाई में बरतें सावधानी सर्दियों में ज्यादातर पौधे ज्यादा पानी (ओवरवॉटरिंग) के कारण खराब हो जाते हैं। अपराजिता को तभी पानी दें जब गमले की मिट्टी पूरी तरह सूख जाए। ज्यादा पानी से इसकी जड़ें गल सकती हैं। मिट्टी को भुरभुरी बनाए रखने के लिए हर 15-20 दिन में हल्की गुड़ाई करें, ताकि जड़ों तक हवा पहुंचती रहे। इस मौसम में पौधे की किसी भी स्वस्थ टहनी को न काटें। सिर्फ सूखी या पीली पड़ चुकी शाखाओं को ही हटाएं। पौधे को आराम देने के लिए उसे फूल की जगह बीज बनाने दें।

औषधीय गुणों का खजाना है अपराजिता अपराजिता के नीले फूल सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद हैं। इसकी चाय बनाकर पीने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण शरीर को फायदा पहुंचाते हैं। कैसे बनाएं चाय: एक कप पानी में अपराजिता के 3-4 ताजे या सूखे फूल डालकर उबालें। जब पानी का रंग नीला हो जाए तो इसे छानकर पिएं। स्वाद के लिए इसमें शहद मिला सकते हैं। यह चाय आंखों की थकान, ब्लड प्रेशर नियंत्रण, बेहतर नींद और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद करती है। क्या है धार्मिक महत्व?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, अपराजिता का पौधा घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और धन-समृद्धि को आकर्षित करता है। इसे घर की उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा, घर के मुख्य द्वार के दाहिनी ओर भी इसे लगाया जा सकता है। माना जाता है कि गुरुवार या शुक्रवार को इसे लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।

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Vikram Singh Bhati is author of Niharika Times web portal
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